सूरत निवासी संदीप एजावा की ओर से दायर जनहित याचिका (पीआईएल) की ओर से कहा गया कि हेलमेट के कानून से कड़ाई से पालन कराए जाने की गुहार लगाई गई है। पार्टी इन पर्सन के रूप में दायर याचिका में कहा गया कि केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम 2019 की धारा 129 के तहत हेलमेट अनिवार्य है। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने आम यात्रियों को शहरी इलाकों में हेलमेट पहनने से राहत दी थी। लेकिन राज्य सरकार केन्द्र के कानून में संशोधन नहीं कर सकती।
यदि ऐसा करना हो तो इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत विधानसभा में पारित कानून अमल में रखा जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार ने हेलमेट के कानून के मुद्दे को लेकर ऐसी कोई प्रक्रिया किए बिना राजनीतिक लाभ लिए जाने के लिए एक प्रेसनोट जारी कर शहरी इलाकों में हेलमेट का कानून स्थगित कराने की घोषणा की थी।
याचिका में यह भी कहा गया कि अधिनियम की धारा 129 के तहत दुपहिया वाहन चालकों व पीछे बैठने वाले दोनों को हेलमेट पहनना अनिवार्य है। इस नियम में सुधार कर राज्य सरकार ने दुपहिया वाहन के पीछे बैठने वाली महिला व 12 वर्ष से कम के बच्चों को हेलमेट पहनने से राहत दी है। यदि अन्य राज्य में नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ऐसी कोई राहत नहीं दी जाती हो तो गुजरात में क्यों?