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दुनिया के पहले हेरिटेज सिटी में होती है एशिया की पहली हेरिटेज वॉक

locationअहमदाबादPublished: Sep 26, 2020 11:10:32 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

ब्रिटिश, मुगल, मरीठा और पारसी शैली में बने आवास

दुनिया के पहले हेरिटेज सिटी में होती है एशिया की पहली हेरिटेज वॉक

दुनिया के पहले हेरिटेज सिटी में होती है एशिया की पहली हेरिटेज वॉक

पुष्पेन्द्रसिंह

गांधीनगर. दुनिया के पहले हेरिटेज सिटी (heritage city) अहमदाबाद में दो दशकों से हेरिटेज वॉक (heritage walk) होती है, जहां न सिर्फ गुजरात (Gujarat) बल्कि देश-विदेश से सैलानी (tourist) आते हैं। यह ऐसी हेरिटेज वॉक है जिसमें दुनिया की नामी हस्तियां अहमदाबाद की प्राचीन धरोहर (heritage monuments) को निहार चुकी है। जहां न सिर्फ जैन, हिन्दू, पारसी और मुस्लिम समुदाय की धरोहरों का संगम नजर आता है बल्कि पोल और कारीगरी के आकर्षक नमूने नजर आते है। इस हेरिटेज वॉक को देश की श्रेष्ठ हेरिटेज वॉक के तौर पर नवाजा जा चुका है।
अहमदाबाद महानगरपालिका की ओर से आयोजित इस हेरिटेज वॉक के संचालन की जिम्मेदारी अक्षर ट्रैवल्स की ओर से संभाली जा रही है।
अक्षर ट्रैवल्स के प्रबंध निदेशक मनीष शर्मा ने बताया कि अहमदाबाद करीब छह सौ वर्ष पुराना शहर हैं , जो वास्तुशा बना है। यह ऐसा शहर है जहां हिन्दू, जैन, पारसी और मुस्लिम धर्मों की धरोहर हैं। वहीं दो सौ वर्ष पुराना स्वामीनारायण भगवान का मंदिर है। यह हेरिटेज वॉक कालूपुर से प्रारंभ होती है, जो जुमा मस्जिद तक होती है। इसका मकसद अहमदाबाद की धरोहरों को सैलानियों जानकारी मुहैया कराना है। ढाई घंटे की इस हेरिटेज वॉक में सैलानियों को कई आकर्षण देखने को मिलते हैं,जिसमें पोल, मंदिर और मस्जिद आकर्षण का केन्द्र होते है। हररोज सुबह कालूपुर स्थित स्वामीनारायण मदिर से यह वॉक शुरू होती है, जो स्वामीनारायण सम्प्रदाय का पहला मदिर है, जो 1822 में बना था। मदिर में बर्मा टिक लकड़ी की खूबसूरत नक्काशी नजर आती है। वहीं हाजा की पोल (हाजा नी पोल) में जो आवासों को झुंड (बंच) है, जिसमें जाति, उनके कामकाज और धर्म के लोग जुड़े हैं। अहमदाबाद की 174 पोलों में हैं।
ब्रिटिश, मुगल, मरीठा और पारसी शैली में बने आवास

उन्होंने कहा कि कुंवावाला खांचा में दोशी वाडानी पोल हैं, जिसमें चार जीवनशैलियों में मकान बने हैं। पहला ब्रिॅिटश आर्किटेक्चरल शैली में बना है। दूसरा मकान है जो मुगलशैली का बना है, जो कि लकडिय़ों का घर है। जबकि तीसरा मराठा शैली में बना है। वहीं चौथे आवास के लकड़ी की नक्शी (वुडी ब्रेकेट्स) दर्शाती है कि वह पारसी शैली का बना है। वहीं नीशा पोल में छह फीट की जैन तीर्थंकर जगवल्लभ सहस्रफन पाश्र्वनाथ का मंदिर है, जिसकी मूर्ति देखने के लिए सोने का सिक्का लगता है। इसकी नक्काशी और कलाकृति देखने लायक है। वहीं माणेक चौक ऐसा स्थल है जहां बाबा माणेकनाथ का मंदिर है, जो करीब छह सौ वर्ष पुराना है। माणेकचौक ऐसा स्थल है, जहां सुबह जौहरी बाजार लगता है तो शाम को फूड स्ट्रीट लगती है। ऐसे कई आकर्षण स्वामीनारायण मंदिर और जुम्मा मस्जिद के बीच हैं। शर्मा बताते हैं कि दुनिया के कई देशों में ऐसे हेरिटेज वॉक होती है, लेकिन एशिया में यह पहली हेरिटेज वॉक है, जिसमें कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष, राजदूत और देशभर से सैलानी इस हेरिटेज वॉक में भाग ले चुके हैं।
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