प्राकृतिक (natural) हो या कृत्रिम आपदा (artificial) हो, कानून-व्यवस्था का पालन या सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति हो हमेशा होमगार्डज पुलिस दल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं। कोरोना काल में होमगार्ड्ज के जवानों को जागरुकता, पेट्रोलिंग, वाहन चेकिंग, नाकाबंदी एवं श्रमिकों की देखभाल में पुलिस के साथ अपनी ड्यूटी करते हैं। कोरोना के खिलाफ गुजरात की लड़ाई में वे भी फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स के तौर पर शामिल हुए। 12 होमगार्ड्ज जवानों ने कोरोना के खिलाफ अपनी जीव भी खोए हैं।
होमगार्डज एवं नागरिक संरक्षण के पुरुष एवं महिला जवानों प्राथमिक स्कोर्ड रील, आम्र्स ड्रील, मस्केटरी प्रशिक्षण, नाकाबंदी, शारीरिक प्रशिक्षण (पीटी), प्राथमिक उपचार, अग्निशमन एवं अन्य राहत एवं बचाव कार्य, डकैतों का सामना करने का प्रशिक्षण, कानून का समान्य ज्ञान और नर्सिंग होम का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। होमगार्डज की स्थापना का उद्देश्य मानद सेवा देने को इच्छुक समाज के अलग-अलग वर्गों के लोगों को प्रशिक्षण देकर अनुशासित बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
स्वतंत्रता से पूर्व मुंबई प्रेसिडेन्सी के तत्कालीन गृहमंत्री मोरारजी देसाई ने छह दिसम्बर 1946 को होमगार्ड्ज की स्थापना की थी। बाद में भारतीय संविधान के प्रावधानों और उसमें भी समय-समय पर बदलाव किए। मौजूदा समय में होमगार्ड्ज और लोक संरक्षण विभाग उसके वर्तमान स्वरूप में कार्यरत है। वर्ष 1960 के बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध और भारत-चीन युद्ध और साम्प्रदायिक दंगों में होमगार्ड्ज जवानों की सेवा प्रशंसनीय रही है। दिन-प्रतिदिन होमगार्ड्ज दल में नागरिकों की सेवा भावना में बढ़ोतरी होने से सभी जिलों में होमगार्ड्ज दल की गठन होता है, जिसमें जिला कमाण्डन्ट के पद पर प्रतिष्ठित व्यक्तियों की नियुक्ति की जाती है, जो मानद सेवा होती है।
होमगार्ड में पूर्व में कई प्रतिष्ठित रणछोड़लाल के पौत्र उदयन चीनूभाई, साबरकांंठा के ईडर स्टेट के पूर्व महाराजा एवं ओलम्पिक खिलाड़ी उमेदसिंह, नानूभाई सूरत, विट्ठलभाई पटेल, भरूच के विजयसिंह ठाकोर, कच्छ-भुज के डॉ. रुद्रसिंह जाड़ेजा, जूनागढ के रमेश ओझा इस दल का संचालन कर चुके है।
नागरिक संरक्षण प्रशिक्षण स्कूल के कमाण्डेन्ट एवं उपाधीक्षक ए.ए. शेख के अनुसार होमगार्डज के जवानों को अत्याधुनिक प्रशिक्षण देने के लिए गुजरात में वडोदरा के जरोद में प्रशिक्षण केन्द्र प्रारंभ किया गया है। वहीं सुंढिया और माधवनगर में भी क्षेत्रीय प्रशिक्षण केन्द्र (Training center) शुरू किया गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे देशों में भी होमगार्ड्ज जवानों ने सेवाएं दी हैं।
जिला कमाण्डेन्ट विपुल दवे के अनुसार होमगार्ड्ज जवानों की प्रशंसनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक, मुख्यमंत्री पदक, राज्यपाल पदक एवं नकदी पुरस्कार दिया जाता है। होमगार्ड्ज जवानों को खेलकूद के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ऑल गुजरात होमगार्ड्ज स्पोर्ट्स मीट का आयोजन भी किया जाता है।