10 राज्यों में किसी को नहीं मिला लाभ अभी तक अंडमान और निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, लद्दाख, लक्षदीप, पुद्दुचेरी सहित 10 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में एक ने भी योजना का लाभ नहीं लिया।
एमएचएस के तहत वर्षवार लाभार्थी वर्ष लाभार्थी 2018-19 88,92,244
2019-20 2,72,99,728
2020-21 8,74,71,580
2021-22 11,28,20,604
2022-23 3,80,48,428 2021-22 में शीर्ष 5 राज्य तमिलनाडु 14878335
आंध्र प्रदेश 11680448
ओडीशा 5827548
पश्चिम बंगाल 3329204
हिमाचल प्रदेश 1508814
एक रुपए में नैपकिन इस योजना के तहत सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) की ओर से किशोरियों-महिलाओं को 6 सेनेटरी नैपकिन का एक पैकेट 6 रुपए की रियायती दर पर उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा देशभर में 8700 से अधिक जनऔषधि केंद्र सुविधा नामक ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन 1 रुपए प्रति नैपकीन की कीमत पर बेच रहे हैं।
सबसे पहले की सेनेटरी नैपकीन वेंडिंग मशीन लगाने की शुरुआत अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन की संचारिका समिति की प्रभारी व समाधान एक पहल अभियान की प्रमुख रहीं उर्मिला कलंत्री ने बताया कि संगठन की ओर से जरूरतमंदों के लिए सबसे पहले सेनेटरी नैपकीन वेंडिंग मशीन लगाने की शुरुआत की गई थी। देशभर में संगठन के 27 राज्यों व नेपाल में 2018 में सबसे पहले 1600 से अधिक लगाकर विश्व रेकॉर्ड बनाया गया था। अब करीब 2 हजार मशीन कार्यरत हैं। स्थानीय स्तर पर नैपकीन निर्माताओं से मशीन में नैपकीन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। शहरों में कालेज, कार्यालय, गांवों में जरूरत के हिसाब से संगठन की इकाइयों की मदद से मशीन लगाई जा रही है।
जागरुकता अभियान में लाए तेजी पहले गांवों में जागरुकता अभियान के जरिए किशोरियों को सेनेटरी नैपकीन के फायदे बताए गए थे, इस कारण लाभार्थियों की संख्या ज्यादा थी। गांवों में योजना के प्रति जागरुकता में कमी एक कारण हो सकता है। जागरुकता अभियान में तेजी लाने की जरूरत है।
– डॉ. हसमुख अग्रवाल, स्त्री रोग विशेषज्ञ, अहमदाबाद