एयर चीफ मार्शल चौधरी ने यह बात बुधवार को गांधीनगर के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) में कही। वे भारतीय वायु सेना और आरआरयू के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के लिए आरआरयू के दौरे पर थे।
वायु सेना प्रमुख ने कहा कि सुरक्षा हालातों में बदलाव आए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे की प्रकृति बदली है वहीं रणनीतियां बनाने के तौर-तरीके में भी बदलाव हो रहे हैं। ऐसे चुनौतीपूर्ण माहौल में नई जानकारी और नए समाधानों की अत्यधिक जरूरत महसूस होने लगी है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में युद्ध की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सैन्य अधिकारियों में तकनीकी ज्ञान होना और इनके अलग-अलग आयामों के बारे में जानना बहुत जरूरी है।
वायु सेना अध्यक्ष के मुताबिक आपसी प्रतिस्पर्धा और संघर्ष की नई-नई परिस्थितियां सामने आ रही हैं। युद्ध में अब कई नए घातक हथियारों का इस्तेमाल होने लगा है। ऐसे में आज के जमाने में इनसे संबंधित जानकारियां भी अहम हो गई हैं जिनसे बेहतर रणनीति बनाई जा सकती है।
एयर चीफ मार्शल के अनुसार सैन्य अधिकारियों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण में बदलाव लाने के लिए एक सही रोडमैप का होना अहम है। हमें उन्हें नई-नई तकनीकों के बारे में बताने की जरूरत है। इससे आने वाले समय में सेना, शिक्षा और इंडस्ट्री में बदलाव देखने को मिलेगा।
इसके साथ ही उन्होंने हस्ताक्षरित इस समझौता ज्ञापन को ऐतिहासिक साझेदारी करार देते हुए कहा कि इसके जरिए वायु सेना और विश्वविद्यालय दोनों साथ मिलकर इस दिशा में बेहतर काम करेंगे।
इस समझौता ज्ञापन के तहत पारस्परिक हित को ध्यान में रखा जाएगा। विशिष्ट क्षेत्रों में शोध और विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। विभिन्न समसामयिक विषयों के बारे में भारतीय वायुसेना कर्मियों को बताया जाएगा।
वायु सेना प्रमुख ने कहा कि सुरक्षा हालातों में बदलाव आए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे की प्रकृति बदली है वहीं रणनीतियां बनाने के तौर-तरीके में भी बदलाव हो रहे हैं। ऐसे चुनौतीपूर्ण माहौल में नई जानकारी और नए समाधानों की अत्यधिक जरूरत महसूस होने लगी है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में युद्ध की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सैन्य अधिकारियों में तकनीकी ज्ञान होना और इनके अलग-अलग आयामों के बारे में जानना बहुत जरूरी है।
वायु सेना अध्यक्ष के मुताबिक आपसी प्रतिस्पर्धा और संघर्ष की नई-नई परिस्थितियां सामने आ रही हैं। युद्ध में अब कई नए घातक हथियारों का इस्तेमाल होने लगा है। ऐसे में आज के जमाने में इनसे संबंधित जानकारियां भी अहम हो गई हैं जिनसे बेहतर रणनीति बनाई जा सकती है।
एयर चीफ मार्शल के अनुसार सैन्य अधिकारियों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण में बदलाव लाने के लिए एक सही रोडमैप का होना अहम है। हमें उन्हें नई-नई तकनीकों के बारे में बताने की जरूरत है। इससे आने वाले समय में सेना, शिक्षा और इंडस्ट्री में बदलाव देखने को मिलेगा।
इसके साथ ही उन्होंने हस्ताक्षरित इस समझौता ज्ञापन को ऐतिहासिक साझेदारी करार देते हुए कहा कि इसके जरिए वायु सेना और विश्वविद्यालय दोनों साथ मिलकर इस दिशा में बेहतर काम करेंगे।
इस समझौता ज्ञापन के तहत पारस्परिक हित को ध्यान में रखा जाएगा। विशिष्ट क्षेत्रों में शोध और विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। विभिन्न समसामयिक विषयों के बारे में भारतीय वायुसेना कर्मियों को बताया जाएगा।