सीएस फाउंडेशन के टॉप-२५ रैंकर में अहमदाबाद के 7 विद्यार्थी
ICSI, CS Foundation programme, result, Topper, Ahmedabad अहमदाबाद के टॉपर्स में छात्राएं रहीं अव्वल

अहमदाबाद. द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) की ओर से दिसंबर २०२० में ली गई फाउंडेशन प्रोग्राम परीक्षा में देश के टॉप २५ रैंकर में अहमदाबाद के सात विद्यार्थियों ने भी जगह बनाने में सफलता पाई है। अहमदाबाद चैप्टर के सात विद्यार्थियों में पांच छात्राएं हैं।
अहमदाबाद चैप्टर के अध्यक्ष सीएस अभिषेक छाजेड़ ने बताया कि अहमदाबाद चैप्टर से फाउंडेशन प्रोग्राम में ७२ विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं, जबकि सात विद्यार्थियों ने देश के टॉप २५ रैंकर में जगह बनाई है।
इनमें अहमदाबाद निवासी रुषा निमावत ने ४०० में से ३३८ अंक पाकर देश में 10वीं रैंक और अहमदाबाद में पहली रैंक पाई है। मोरबी निवासी कुनिका शाह ने भी ३३८ अंक के साथ देश में 10वीं और अहमदाबाद में संयुक्त रूप से पहली रैंक पाई है। अहमदाबाद निवासी कर्मशाह भी ३३८ अंक के साथ अहमदाबाद में पहले रैंक पर और देश में 10वें स्थान पर रहा।
अहमदाबाद की संस्कृति ठक्कर ३३४ अंक के साथ देश में 12वें स्थान पर, जीत बारोट ३१६ अंक के साथ देश में 21वें और शैली दवे ३१२ अंक के साथ देश में २३वें रैंक पर रही। मुस्कान शेख ने ३१० अंक के साथ देश में २४वीं रैंक पाई।
मॉड्यूल की रिंडिंग है महत्वपूर्ण: कुनिका
मूलरूप से राजस्थान के भीलवाड़ा और हाल मोरबी में रहने वाली कुनिका शाह ने ३३८ अंक के साथ देश में 10वीं और अहमदाबाद में पहली रैंक पाई है। कुनिका बताती हंै कि कोरोना के चलते उन्हें पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय मिला। वे कहना चाहती हैं कि सफलता के लिए मॉड्यूल को दो से तीन बार गंभीरता पूर्वक पढऩा जरूरी है। पहले पेज से लेकर अंतिम पेज तक पढ़ाई के साथ उसमें दिए गए तथ्यों, कॉन्सेप्ट को भी समझना जरूरी है। वह आठ घंटे पढ़ाई करती थीं। कुनिका के पिता भावेश शाह मोरबी में टाइल्स के व्यवसायी हैं मां अंजना शाह दाहोद के प्राइमरी स्कूल में प्राचार्य हैं। कुनिका बताती हंै कि वह उद्यमी बनना चाहती हैं। कुनिका के मामा पवन दलाल और मामी डिम्पी सीए हैं।
बिना ट्यूशन पाई सफलता
३३८ अंक के साथ देश में 10वीं, अहमदाबाद में पहली रैंक पाने वालीं रुषा निमावत बताती हैं कि सफलता के लिए जरूरी है कि आप पढ़ाई का टाइम टेबल बनाएं। उन्होंने सेल्फ स्टडी के बूते सफलता पाई है। कोरोना के चलते उन्हें तैयारी करने का पर्याप्त समय मिला। वह दिन में तीन से चार घंटे ही पढ़ाई करती थीं। कोचिंग नहीं ली।
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