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Ahmedabad News आईआईटी गांधीनगर के पीएचडी छात्र ने डीआरडीओ इनोवेशन कॉन्टेस्ट में दिखाई काबीलियत, मिला पहला स्थान,जानिए क्यों ?

locationअहमदाबादPublished: Oct 23, 2019 07:38:32 pm

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Ahmedabad News आईआईटी गांधीनगर के पीएचडी छात्र ने डीआरडीओ इनोवेशन कॉन्टेस्ट में दिखाई काबीलियत, मिला पहला स्थान,जानिए क्यों ?

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अहमदाबाद. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर IIT Gandhinagar के पीएचडी छात्र Chandan kumar jha चंदन कुमार झा ने एक ऐसा Microphone माइक्रोफोन बनाया है, जिसके जरिए तोप, टैंक, लडाकू विमानों की बमबारी के बीच भी सैनिक कंट्रोलरूम को सटीक और स्पष्ट आवाज में संदेश पहुंचा सकता है। Optical fiber based ऑप्टिकल फाइबर आधारित इस उपकरण की विशेषता यह है कि इसे पहना भी जा सकता है।
चंदन झा के इस इनोवेशन को रक्षा शोध एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के innovation contest Dare to Dream इनोवेशन कॉन्टेस्ट ‘डेयर टू ड्रीम’ में Frist award पहला अवार्ड भी प्राप्त हुआ है। इसके तहत चंदन को न सिर्फ पांच लाख रुपए की नकदी बल्कि उनके इस उपकरण को उत्पाद के रूप में तैयार करने के लिए डीआरडीओ की ओर से मार्गदर्शन और मदद भी दी जाएगी।
RakshaMatri Rajnath singh रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम की जयंती पर नई दिल्ली डीआरडीओ भवन में आयोजित सम्मान समारोह में झा को सम्मानित किया। इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, तीनों सेनाओं के अध्यक्ष व डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ.जी.सतीश रेड्डी भी उपस्थित थे।
भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इनोवेशन आधारित नए विचारों को इस कॉन्टेस्ट के तहत आमंत्रित किया जाता है। झा व्यक्तिगत श्रेणी में 8 अन्य विजेताओं में से एक हैं। इन्हें 3000 से अधिक प्रतियोगियों में से चुना गया। झा आईआईटी गांधीनगर में फोटोनिक सैंसर्स लैब में Dr. Arup Lal Chakraborthy डॉ.अरूप लाल चक्रवर्ती के मार्गदर्शन में PHD पीएचडी कर रहे हैं।
यूं करता है काम

यह फाइबर ऑप्टिकल आधारित संपर्क माइक्रोफोन गर्दन में लगाया जाता है। जिससे ये गर्दन से संकेत उठाता है। बहुत कम सिग्नल प्रोसेसिंग के साथ शोर को दबा देता है। जिससे सटीक और स्पष्ट आवाज में संदेश को पहुंचाने में मदद मिलती है, चाहे आसपास काफी शोर शराबा ही क्यों नहीं हो। क्योंकि युद्ध की परिस्थिति के समय युद्धक टैंक, लड़ाकू विमानों, तोपखानों की आवाज काफी शोर उत्पन्न करती है, ऐसे में भेजे जाने वाले संदेश में काफी तकलीफ होती है। कई बार गलतफहमी की भी संभावना रहती है। यह उपकरण रक्षा बलों के सभी विभागों, नौसेना, थल सेना, वायुसेना के लिए समान रूप से उपयोगी है।
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