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दिमागी तरंगों से आपके गाना सुनने की होगी पहचान

locationअहमदाबादPublished: Jan 11, 2022 12:54:46 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

आईआईटी-गांधीनगर व नीदरलैण्ड के शोधकर्ता कर रहे हैं अध्ययन; IIT-gandhinagar, waves, song, western, researchers

दिमागी तरंगों से आपके गाना सुनने की होगी पहचान

दिमागी तरंगों से आपके गाना सुनने की होगी पहचान

गांधीनगर. आप वेस्टर्न कल्चर के गीत सुनते हैं या फिर भारतीय गाने या फिर शांत धुन पर गाना सुन रहे हैं। आप जैसा भी गाना सुन रहे हैं उसका पता आपकी दिमागी तरंगों से लगाया जा सकेगा। यह आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स के जरिए संभव हो सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-गांधीनगर (आईआईटी-गांधीनगर) के सहायक प्रोफेसर कृष्णा मियापुरम के मार्गदर्शन में शोधकर्ता धनंजय सोनवणे एवं नीदरलैंड के डेल्फ़्ट विश्वविद्यालय में मानव-केंद्रित डिज़ाइन विभाग इस पर काम कर रहे हैं।
देखा जाए तो संगीत में लय, ताल, सुर जैसे कई विशेषताएं होती हैं। जिसका व्यक्तियों के दिमाग पर अलग-अलग तरीके से प्रभाव होता है। इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राफी (ईईजी) व्यक्ति के मस्तिष्क की तरंगों के प्रभावों का अध्ययन करता है, जिसमें गानों के जरिए व्यक्तियों के मस्तिष्क में होने वाले प्रभाव का पता लगाया जा रहा है। इस शोध में अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 20 लोगों को चुना और उन्हें 12 गाने सुनने के लिए कहा गया। आंखें बंद करके गाने सुनने वाले थे उन सभी ने एक इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राफी (ईईजी) कैप लगाई थी। जो गाने सुनने के साथ-साथ मस्तिष्क पर होने वाली विद्युत गतिविधि को भी प्राप्त करने में सक्षम है।
संगीत के साथ-साथ दोनों के बीच पहचान करने में सक्षम हो ऐसे एक कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क को प्रशिक्षित करने के लिए यह मस्तिष्क डाटा इस्तेमाल किया गया। जब डाटा के परिणाम का परीक्षण किया गया तो पहले कुछ भी नजर नहीं आया।, लेकिन बाद में दिमागी तरंगों की आवृत्ति पर परीक्षण हुआ तो 85 फीसदी सटीकता के साथ गीत की सही पहचान हो सकी।
भारतीय व पश्चिमी गानों का था मिश्रण
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान – गांधीनगर में कंप्यूटर विज्ञान के सहायक प्रोफेसर कृष्णा मियापुरम ने बताया कि इन गानों में पश्चिमी और भारतीय गानों का मिश्रण था, जिसमें कई शैलियों भी शामिल थी। इसके जरिए प्रशिक्षण और परीक्षण के लिए एक बड़ा नमूना बनाया गया। जब यह मालूम हो गया कि प्रभावशाली वर्गीकरण सटीकता प्राप्त हो रही है तब हमने प्रशिक्षण डाटा को डाटासेट के एक छोटे प्रतिशत तक सीमित कर दिया। मियापुरम के अनुसार शोध से पता चलता है कि संगीत को लेकर हर व्यक्ति का अपना अलग-अलग अनुभव होता हैं। कोई अलग-अलग तरीके की धुन के गाने सुनना पसंद करता तो कोई धीमी धुन पर गाने सुनता है।
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