गांधीनगर. भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (IIT-Gn) परिसर से सटे पालज और बासण गांव की महिलाएं (women) मास्क ( Mask) बनाकर कोरोना (corona) की लड़ाई में मददगार बनी हैं। इन महिलाओं को आईआईटी-गांधीनगर के नींव- कौशल विकास (skill programme) कार्यक्रम के तहत मास्क बनाने का हुनर सिखाया गया। अब इन महिलाओं के बनाए मास्क न सिर्फ आईआईटी-गांधीनगर के कर्मचारियों व छात्रों बल्कि ग्रामीणों को कोरोना संक्रमण से निजात दिला रहे हैं।
आईआईटी-गांधीनगर- नींव कार्यक्रम की संयोजक सौम्या हरीश बताती हैं कि जहां कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन था, ऐसे में भी अप्रेल से अगस्त तक बासण और पालज की 18 ग्रामीण महिलाओं को मास्क बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। ये मास्क कपड़े से बनाए गए हैं, जिन्हें धोने के बाद उपयोग किया जा सकता है। इन महिलाओं ने 30 हजार से ज्यादा मास्क बनाए, जिनसे इन्हें 1.35 लाख रुपए की कमाई हुई।
ज्वैलरी, मोमबत्ती, बनाने का भी प्रशिक्षण उन्होंने कहा कि नींव कार्यक्रम के तहत युवाओं और महिलाओं को मोमबत्ती, ज्वैलरी बनाने, लेपटॉप बैग, तकिया कवर, गृहसज्जा के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन उत्पादों के बनाने बाद वे इन्हें आईआईटी-गांधीनगर के परिसर में बेच भी सकते हैं।
उन्होंने बताया वर्ष 2014 से नींव कार्यक्रम चलाया जाता है, जिसमें 75 प्रोजेक्ट और प्रवृत्तियां की जाती हैं, जिसमे ढाई हजार युवा और युवतियां शामिल हैं। इसके जरिए ग्रामीणों को न सिर्फ आजीविका मिली है बल्कि उनकी जीवनशैली में भी सुधार हुआ है। इसके अलावा ग्रामीणों में आत्मविश्वास बढ़ा है। अप्रेल 2019 से मार्च 2020 तक में नींव के जरिए विशेष तौर पर उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया है, जिसमें 20 महिलाओं ने कपड़े की थैलियां, पर्दे एवं लेपटॉप बैग बनाए, जिसमें करीब डेढ़ लाख रुपए के उत्पादों की तो सिर्फ आईआईटी-गांधीनगर के लिए सिलाई की।
आईआईटी हॉस्टल में सजे पर्दे वहीं आईआईटी-गांधीनगर में दो इन हॉस्टल बनाए गए हैं। इनके लिए पर्दों की जरूरत थी तो आईआईटी-गांधीनगर ने बासण और पालज गांव की इन महिलाओं से संपर्क किया, जिन्होंने नींव में सिलाई करने का प्रशिक्षण लिया था। इन आठ महिलाओं के बनाए पर्दे आईआईटी-गांधीनगर के हॉस्टलों पर सजे है।