गांधीनगर. राज्य में निजी रूप से ऋण देने के मामले के अधिनियम में कई कानूनी अड़चनों को
ध्यान में रखकर अब राज्य सरकार इस अधिनियम में संशोधन करने पर विचार कर रही है। ग्रामीण स्तर पर ऋण देने वाले ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कई बार ज्यादती के मामले देखे गए हैं। इस कारण गांंवों में शांति-व्यवस्था को लेकर परेशानी होती थी। अब राज्य सरकार ग्राम स्तर पर निजी रूप से ऋण के लेन-देन पर नियंत्रण के लिए गांव की ग्राम सभा शांति समिति को यह अधिकार सौंपने जा रही है।
राज्य सरकार इस संबंध में विधानसभा के बजट सत्र में विशेष संशोधन के साथ अधिनियम लाएगी। विधानसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार इस संबंध में कानून विभाग की ओर से पूरी तैयारी कर ली गई है। राज्य सरकार की ओर से राज्य में रकम या ऋण के लेन-देन के नियमन के लिए वर्ष 2011 में विधेयक पेश किया गया था। इस अधिनियम में कई मुद्दों को लेकर संशोधन की जरूरतें समझी गई। इस कारण रकम या ऋण देने वालों की परेशानी दूर की जा सकेगी।
अधिनियम की धारा -17 की उपधारा (2) के तहत रकम या ऋण देने वाले का व्यवसाय करने वाले व्यक्ति से राज्य के अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के सदस्य को उस गांव की ग्राम पंचायत की पूर्व मंजूरी लेनी होगी। संशोधन विधेयक में यह अधिकार ग्राम सभा की शांति समिति को दी जाएगी।
ग्राम सभा को अनूसूचित जनजाति के सदस्य को रकम लेने के लिए मंजूरी देने का अधिकार दिया जाएगा। यह अधिकार दिए जाने के पीछे मुख्य कारण ग्रामीण स्तर पर रकम/ऋण देने का
काम करने वाले व्यक्ति और रकम लेने वाले व्यक्ति के बीच इस मुद्दे को लेकर गांवों में कई बार कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती थी। इस कारण विभिन्न तरह की शिकायतों में बढ़ोत्तरी देखी गई। इन बवालों को टालने के लिए राज्य सरकार के किसान कल्याण व सहकारिता विभाग की ओर से यह संशोधन विधेयक लाया जाएगा।