मण्डल रेल प्रबंधक दीपक कुमार झा ने शेड की इस उपलब्धि पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए बताया कि इस सिस्टम में इंजन की छत पर चढऩे के लिए प्रयोग होने वाली सीढ़ी लॉक अवस्था में रहती है। ओवर हेड लाइन के आइसोलेट होने तथा लाइन के दोनों सिरों की ग्राउंडिंग होने के पश्चात सीढ़ी का लॉक अपने आप खुल जाता है तथा बाद में ही सीढ़ी को इंजन की छत पर चढऩे के लिए उपयोग में लिया जा सकता है। इसी प्रकार जब सभी कर्मचारी इंजन की छत से नीचे उतरकर ग्राउंडिंग रॉड तथा सीढ़ी को पुन: अपने निर्धारित स्थान पर रखकर लॉक नहीं करते है तब तक ओवर हेड लाइन दोबारा चार्ज नहीं होती है। इससे रेल कर्मी सुरक्षित रहते है । डीजल शेड कर्मचारी प्राय: ओवर हेड लाइन के नीचे कार्य करने के आदी नहीं होते है। इसके कारण कर्मचारियों में दुर्घटना का भय हमेशा बना रहता है। सिस्टम के लगाए जाने से ओवर हेड लाइन के कारण होने वाली दुर्घटना की संभावना नहीं होगी तथा कर्मचारी निडर होकर इंजन का मेंटेनेंस का कार्य कर सकेंगे। उन्होंने यह भी बताया की इंटरलॉकिंग सिस्टम को शेड में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए शेड में ही विकसित किया गया है, जिसके कारण इस सिस्टम को स्थापित करने में लगने वाली लागत बहुत कम रही है।
उन्होंने वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर आर. एन. भारद्वाज व सहायक मण्डल यांत्रिक इंजीनियर मेघराज तातेड़ व उनकी पूरी टीम को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर बधाई देते हुए उन्हें उच्च स्तर पर पुरस्कार देने की भी घोषणा की ।