scriptयहां बना भारतीय रेल का पहला ओवर हेड वायर इंटरलॉकिंग सिस्टम | indian railway, over head wire, interlocking system, disel shed, | Patrika News

यहां बना भारतीय रेल का पहला ओवर हेड वायर इंटरलॉकिंग सिस्टम

locationअहमदाबादPublished: Sep 27, 2020 07:29:31 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

indian railway, over head wire, interlocking system, disel shed : अहमदाबाद मण्डल के डीजल शेड- वटवा

यहां बना भारतीय रेल का पहला ओवर हेड वायर इंटरलॉकिंग सिस्टम

यहां बना भारतीय रेल का पहला ओवर हेड वायर इंटरलॉकिंग सिस्टम

गांधीनगर. पश्चिम रेलवे (western railway) के अहमदाबाद मण्डल (Ahmedabad divion) के डीजल शेड (disel shed), वटवा में वर्तमान में डीजल इंजन (disel engine) के साथ-साथ इलेक्ट्रिक इंजन (electric engine) का भी रखरखाव किया जा रहा है।
इसके लिए डीजल शेड-वटवा में ओवर हेड लाइन बिछाई गयी है जो की 25 किलो वॉल्ट के हाई वोल्टेज पर चार्ज रहती है। इंजन के मेंटेंनेंस के समय रेल कर्मियों (Railway employees) को अक्सर इंजन की छत पर चढऩा पड़ता है। इसके कारण बिजली की ओवर हेड लाइन में हाई वोल्टेज करंट (high voltage) से दुर्घटना का खतरा हमेशा बना रहता है। इसके लिए भारतीय रेलवे में पहली बार डीजल शेड-वटवा ने अनुभवी व होनहार रेल कर्मियों की लगन व कड़ी मेहनत से एक इंटरलॉकिंग सिस्टम की खोज की गई है।
मण्डल रेल प्रबंधक दीपक कुमार झा ने शेड की इस उपलब्धि पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए बताया कि इस सिस्टम में इंजन की छत पर चढऩे के लिए प्रयोग होने वाली सीढ़ी लॉक अवस्था में रहती है। ओवर हेड लाइन के आइसोलेट होने तथा लाइन के दोनों सिरों की ग्राउंडिंग होने के पश्चात सीढ़ी का लॉक अपने आप खुल जाता है तथा बाद में ही सीढ़ी को इंजन की छत पर चढऩे के लिए उपयोग में लिया जा सकता है। इसी प्रकार जब सभी कर्मचारी इंजन की छत से नीचे उतरकर ग्राउंडिंग रॉड तथा सीढ़ी को पुन: अपने निर्धारित स्थान पर रखकर लॉक नहीं करते है तब तक ओवर हेड लाइन दोबारा चार्ज नहीं होती है। इससे रेल कर्मी सुरक्षित रहते है । डीजल शेड कर्मचारी प्राय: ओवर हेड लाइन के नीचे कार्य करने के आदी नहीं होते है। इसके कारण कर्मचारियों में दुर्घटना का भय हमेशा बना रहता है। सिस्टम के लगाए जाने से ओवर हेड लाइन के कारण होने वाली दुर्घटना की संभावना नहीं होगी तथा कर्मचारी निडर होकर इंजन का मेंटेनेंस का कार्य कर सकेंगे। उन्होंने यह भी बताया की इंटरलॉकिंग सिस्टम को शेड में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए शेड में ही विकसित किया गया है, जिसके कारण इस सिस्टम को स्थापित करने में लगने वाली लागत बहुत कम रही है।
उन्होंने वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर आर. एन. भारद्वाज व सहायक मण्डल यांत्रिक इंजीनियर मेघराज तातेड़ व उनकी पूरी टीम को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर बधाई देते हुए उन्हें उच्च स्तर पर पुरस्कार देने की भी घोषणा की ।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो