राष्ट्रीयता, देशभक्ति, गर्व का जीता जागता स्मारक बने चतुर्वेदी ने यह भी लिखा कि इस युद्धपोत को मैैरिटाइम म्यूजियम में तब्दील करने के ऑफर भी मिली लेकिन अभी तक रक्षा मंत्रालय से एनओसी से नहीं मिल सकी है। राज्यसभा सांसद के मुताबिक यदि भारत सरकार चाहे तो इसे बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार आईएनएस विराट के संरक्षण में सहयोग को लेकर बहुत खुश होगी। रक्षा मंत्री को भेजे गए पत्र में चतुर्वेदी ने लिखा है कि आईएनएस विराट को राष्ट्रीयता, देशभक्ति और गर्व का जीता जागता स्मारक बनाया चाहिए। इसलिए इसे संरक्षित करने के लिए एनओसी दी जाए।
उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्रालय ने मुंबई की फर्म एन्विटेक मरीन कंसलटेन्ट्स प्रा. लि. की इस महीने की शुरुआत में एनओसी देने से इन्कार किया था। इसके बाद यह फर्म सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। उधर ब्रिटेन की हर्मिस विराट हेरिटेज ट्रस्ट ने इस युद्धपोत को बचाने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ-साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि भारत इसे संरक्षित करने में विफल रहता है तो इसे ब्रिटेन लाया जाना चाहिए जिससे ट्रस्ट लिवरपुल में मैरिटाइम म्यूजियम के रूप में तब्दील कर सके।
उधर इस युद्धपोत को तोडऩे के लिए खरीदने वाली शिप ब्रेकिंग कंपनी के मालिक मुकेश पटेल कह चुके है कि यदि भारत सरकार एनओसी देती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। फिलहाल यह युद्धपोत भावनगर जिले के अलंग स्थित दुनिया के सबसे बड़े शिप ब्रेक्रिंग यार्ड के पास खड़ा है। गत सितम्बर महीने में इसे मुंबई से अलंग लाया जा चुका है।
पत्रिका लगातार उठाती रही है मुद्दा
पत्रिका ने भी आईएनएस विराट को तोड़े जाने के बजाय इसे संरक्षित करने का मुद्दा बार-बार उठाया है। ट्रेवल एजेंट एसोसिएशन ऑफ गुजरात की ओर से भी केन्द्र सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा जा चुका है। इसमें कहा गया है कि आईएनएस विराट को म्यूजियम बना दिया जाना चाहिए।