शहर के ख्याति अस्पताल के एंजियोप्लास्टी प्रकरण की जांच में इसका खुलासा हुआ। गुजरात में आयुष्मान कार्ड बनाने की प्रक्रिया से जुड़ी एजेंसी एन्सर कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड का गुजरात हैड निखिल पारेख व अन्य कर्मचारी इसमें शामिल थे।पकड़े गए आरोपियों में अहमदाबाद का निमेष डोडिया, मो.फजल शेख व मो.अशफाक शेख, भावनगर का नरेन्द्र सिंह गोहिल व इम्तियाज और सूरत निवासी इमरान कारीगर शामिल हैं। इसी मामले में ख्याति अस्पताल का निदेशक कार्तिक पटेल, सीईओ चिराग राजपूत, निखिल पारेख व बिहार का राशिद फरार है।क्राइम ब्रांच के जेसीपी शरद सिंघल ने बताया कि 12 नवंबर को अहमदाबाद के ख्याति मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में एंजियोप्लास्टी के बाद हुई दो मरीजों की मौत के मामले की जांच में जब्त हार्ड डिस्क, कंप्यूटर, फाइलों की जांच और कर्मचारियों की पूछताछ में पता चला कि पात्र नहीं होने वाले लोगों के भी आयुष्मान कार्ड बनाए गए और फिर उनका ऑपरेशन किया गया।
फर्जी कार्ड बनाने को 1500 से 2000 रुपए
ख्याति अस्पताल की पीएमजेएवाई डेस्क पर काम करने वाले मेहुल पटेल की पूछताछ में पता चला कि अस्पताल के निदेशक कार्तिक के कहने पर सीईओ चिराग अहमदाबाद में अमदूपुरा स्थित रायचंद चाली में रहने वाले निमेष डोडिया को प्रति कार्ड एक हजार रुपए देकर पात्र नहीं हों ऐसे लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाता था। मुफ्त सेवा होने के बावजूद लोगों से अस्पताल 1500 से 2000 रुपए वसूलता। इस अस्पताल के लिए निमेष ने 100 अयोग्य लोगों के कार्ड बनाने का आरोप कबूला है।
जेसीपी का कार्ड भी 15 मिनट में बनाया
सिंघल ने बताया कि इन लोगों की ओर से सोर्स कोड व अन्य जानकारी से छेड़छाड़ कर आयुष्मान कार्ड बनाने की बात पर उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था। ऐसे में उन्होंने खुद जब अपना कार्ड बनाने को कहा तो आरोपियों ने 15 मिनट में उनका भी आयुष्मान कार्ड बना दिया।
3000 कार्ड बनाने का मिला डाटा
सिंघल ने बताया कि जांच में पता चला कि आरोपियों ने एक दो नहीं बल्कि 3000 पीएमजेएवाई कार्ड बनाए हैं। इसमें से ज्यादा कार्ड के फर्जी होने की आशंका है।
सोशल मीडिया, ग्रुप, पोर्टल के जरिए भी बनाते कार्ड
जेसीपी ने बताया कि आरोपी निमेष की पूछताछ में सामने आया कि आरोपी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म-वॉट्सएप, टेलीग्राम पर ग्रुप बनाते थे। साथ ही कई वेबसाइट के जरिए लोगों से रुपए लेकर फर्जी तरीके से आयुष्मान कार्ड बनाकर देते थे। कई ग्रुप का नाम पता चला है। ऐसे ग्रुप के जरिए ही निमेष फजल, अशफाक, नरेन्द्र, व इम्तियाज के संपर्क में आया।
राशिद पोर्टल से देशभर में लगा रहा चपत
क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया कि बिहार का रहने वाला आरोपी राशिद पोर्टल के जरिए देशभर में इस प्रकार से लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाकर राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार को चपत लगा रहा है। कार्ड बनाने को जरूरी मास्टर-की, ई-केवाईसी मंजूर करने का यूजर आईडी आरोपी निखिल ने निमेष और नरेन्द्र को दिया था। इसके लिए प्रति माह 8 से 10 हजार रुपए वसूल रहा था।
सूरत, भावनगर में भी चल रहा था खेल
ठगी का यह खेल अहमदाबाद के अलावा सूरत व भावनगर में भी जारी था। सूरत में मांगरोल किम कोठवा दरगाह के पास रहने वाला इमरान कारीगर, भावनगर में नरेन्द्र और इम्तियाज फर्जी कार्ड बना रहे थे। अहमदाबाद में निमेष के अलावा अशफाक यह काम करता था। अशफाक काशीबा हॉस्पिटल में कार्यरत है जिसने 350 रुपए में 120 कार्ड बनाए थे। कालूपुर का फजल 500 रुपए में 75 कार्ड बनाए थे।
केवल इन लोगों के बन सकते हैं आयुष्मान कार्ड
सिंघल ने बताया कि सरकारी नियमों के तहत एनएफएसए राशन कार्ड धारकों के या फिर जिन के परिवार की वार्षिक आय चार लाख या उससे कम है उनके आयुष्मान कार्ड बनाए जा सकते हैं।