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दो साल में ४३ हजार कैदियों को कानूनी सलाह, 10 हजार को मदद

locationअहमदाबादPublished: Mar 09, 2021 12:16:41 am

jail, corona, legal aid, legal help, Gujarat, inmates, Ahmedabad, Surat सजा काट रहे कैदियों को कानूनी सलाह देने को सरकार प्रतिबद्ध, साबरमती जेल के ७६६६ को कानूनी सलाह ६१७१ को मदद दी, कोरोना काल में संक्रमण बचाने को बैरेक में प्रोटोकॉल के तहत सुविधा

दो साल में ४३ हजार कैदियों को कानूनी सलाह, 10 हजार को मदद

दो साल में ४३ हजार कैदियों को कानूनी सलाह, 10 हजार को मदद

अहमदाबाद. गृहराज्यमंत्री प्रदीप सिंह जाड़ेजा ने कहा कि राज्य की जेलों में सजा काट रहे कैदियों को कानूनी सलाह देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। २०११ से सरकार कैदियों को नि:शुल्क कानूनी सलाह उपलब्ध करा रही है जिसके तहत बीते दो सालों में राज्य सरकार ने ४३ हजार कैदियों को नि:शुल्क कानूनी सलाह उपलब्ध कराई है। जबकि 10 हजार से ज्यादा कैदियों को कानूनी मदद भी मुहैया कराई है।
जाड़ेजा ने यह जानकारी सोमवार को विधानसभा में अहमदाबाद मध्यस्थ जेल एवं सूरत की लाजपोर मध्यस्थ जेल के कैदियों को कानूनी सलाह देने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में दी।
उन्होंने कहा कि सजा काटने वाले कैदियों को न्याय मिले। वे केस कैसे लड़ें, आवेदन कैसे करें तथा वकील के लिए पैसे ना हों तो सरकार की ओर से मुफ्त में वकील की सुविधा दी जाती है। जिला कानूनी सेवा अथोरिटी एवं राज्य कानून सेवा अथोरिटी के जरिए केस लडऩे के लिए मदद दी जाती है। अहमदाबाद जेल में बीते दो साल में ७६६६ कैदियों को कानूनी सलाह और ६१७१ कैदियों को कानूनी मदद दी गई है।
जाड़ेजा ने कहा कि बीते दो साल में अहमदाबाद जेल के विचाराधीन ५१७८ पुरुष और ११३३ महिला कैदियों को मिलाकर कुल ६३११ कैदियों को तथा सजायाफ्ता में ५०५ पुरुष व ८५० महिलाओं सहित कुल ७६६६ को सलाह दी गई।
बीते दो साल में अहमदाबाद जेल के ४८३३ पुरुष, ५६८ महिला कैदी मिलाकर कुल ५४०१ विचाराधीन कैदी और ७०० सजायाफ्ता कैदियों को कानूनी मदद दी गई है।
कोरोना काल में कैदियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए जेल परिसर का सेनेटाइजेशन, फोगिंग, सोशल डिस्टेंसिंग, नि:शुल्क मास्क दिए गए। ६० साल से ज्यादा के कैदियों को अलग बैरेक में रखा।
लंबी सजा काट रहे कैदियों की मुक्ति को उच्च स्तरीय समिति
जाड़ेजा ने कहा कि जो कैदी १४ साल या उससे ज्यादा समय से लंबी सजा काट रहे हैं। ऐसे कैदियों की मुक्ति के लिए सरकार संवेदनशील है। इसके लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। जो संवेदनशीलता से निर्णय लेगी। इसमें आयु ज्यादा होने, गंभीर बीमारियों के चलते परेशानी हो, सजा पूरी हो गई हो लेकिन अन्य कारणों से लंबी सजा भुगत रहे हों उनकी सजा पूरी करने पर निर्णय किया जाएगा।
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