8.5 एकड़ में फैला है मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट, लकड़ी के बने खास बॉक्सों में भेजे जाएंगे मगरमच्छ प्रजनन केंद्र के अधिकारियों ने कहा कि मगरमच्छों को तापमान नियंत्रित वाहन में लकड़ी के बक्सों में जामनगर भेजा जाएगा। प्रजनन केंद्र के एक अधिकारी के अनुसार मगरमच्छ को सप्ताह में केवल एक बार भोजन देने की आवश्यकता होती है, इसलिए उन्हें यात्रा से पहले खिलाया जाता है। 3 साल पुराना प्राणी संग्रहालय (चिडिय़ाघर) गुजरात के जामनगर शहर में 425 एकड़ में फैला हुआ है।
पुनर्वास और संरक्षण : 425 एकड़ में फैला है जामनगर में बना प्राणी संग्रहालय, 300 मगरमच्छ चेन्नई से भेजे जा चुके हैं जामनगर जामनगर स्थित प्राणी संग्रहालय के अधिकारी के अनुसार यहां आने वाले मगरमच्छों के पास रहने के लिए पर्याप्त जगह होगी। भोजन और देखभाल की कोई कमी नहीं होगी। अब ये 1000 मगरमच्छ चेन्नई में 8.5 एकड़ के केंद्र से कई गुना बड़े क्षेत्र में रहेंगे। पशु चिकित्सक, क्यूरेटर, गुजरात में ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर के जीवविज्ञानी, प्राणी विज्ञानी इस चिडिय़ाघर को खास बनाते हैं। यह न केवल भारत बल्कि दुनिया भर से बचाव और मदद की जरूरत वाले जानवरों के कल्याण के लिए काम करता है। उन जानवरों का कल्याण, बचाव और पुनर्वास और संरक्षण उद्देश्यों के लिए खोला गया।
मगरमच्छों को बेहतर माहौल उपलब्ध कराने को लिया फैसला पिछले साल भारत के प्राणी संग्रहालय के निदेशक ने देश के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में चेन्नई स्थित मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट से 1,000 मगरमच्छों को गुजरात में जामनगर स्थित ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में स्थानांतरित करने की मंजूरी दी थी। इसके तहत अब तक करीब 300 मगरमच्छ चेन्नई से भेजे जा चुके हैं। चेन्नई में मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट का क्रोकोडाइल सेंटर 8.5 एकड़ में फैला हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र के अधिकारियों का कहना है कि मगरमच्छों को चेन्नई से गुजरात इसलिए भेजा जा रहा है क्योंकि चेन्नई में मगरमच्छों की आबादी बढ़ गई है। अंदरुनी लड़ाई बढ़ती जा रही थी और बड़ी संख्या को नियंत्रित करना भी थोड़ा मुश्किल हो गया था, जिसके चलते यह फैसला लिया गया है। चेन्नई शहर में केंद्र के क्यूरेटर ने कहा कि यहां भीड़भाड़ के कारण हर साल सैकड़ों मगरमच्छ के अंडे नष्ट हो जाते हैं। मगरमच्छों को रहने के लिए बेहतर जगह बेहतर उपलब्ध कराने के लिए गुजरात के जामनगर भेजने का फैसला गया था। वर्षों से वहां से मगरमच्छों को भारत भर के संरक्षित क्षेत्रों और चिडिय़ाघरों में भेजा जा रहा है।