केन्द्रीय विश्वविद्यालय गुजरात (सीयूजी) के प्रोफेसर संजय झा ने बताया कि जेएनयू में हुई हिंसा के पीछे जो भी दोषी हैं उन पर जांच करके कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके लिए सभी जवाबदेह हैं। वे खुद जेएनयू के छात्र रहे हैं। पहले भी विरोध होते थे, लेकिन इस प्रकार की स्थिति नहीं होती थी। इससे जेएनयू सरीखे संस्थान की बदनामी हो रही है।
आईआईएम-ए के निदेशक प्रो.एरोल डिसूजा ने ट्वीट कर जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा की निंदा की। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि हिंसा विश्वविद्यालय के विचार के लिए एक अभिशाप है और सभ्यता के आधार का उल्लंघन करती है। जेएनयू में कल हुई घटना आजादी के बाद की निम्न स्तर की घटना है।
जेएनयू में हुई घटना के विरोध में यहां पहुंची साराभाई ने कहा कि वे हिंसा को नहीं बल्कि लोकतंत्र में विश्वास रखती हैं। वे शांतिपूर्वक विरोध के समर्थन में हैं। जेएनयू वालों ने हिंसा नहीं की बल्कि बाहरी लोगों ने उन्हें आकर मारा है। विद्यार्थियों का विरोध प्रदर्शन हमारे लोकतंत्र का हिस्सा है। लोगों को उनकी बात कहने से रोका जा रहा है। लोग डर के साए में जी रहे हैं। हमारा भारत समावेशी भारत है, हर एक का भारत है।
एबीवीपी ने भी किया विरोध, मंजूरी न होने से लिया हिरासत में आईआईएम-ए के बाहर प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों के सामने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के विद्यार्थियों ने भी प्रदर्शन किया। मंजूरी नहीं होने के चलते पुलिस ने इन विद्यार्थियों को हिरासत में ले लिया। इससे पहले जिन लोगों ने विरोध की मंजूरी ली थी। ऐसे लोगों ने एबीवीपी के विद्यार्थियों के मंजूरी बिना के विरोध का विरोध किया।
एबीवीपी के गुजरात प्रदेश सह संगठन मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि देश के शैक्षणिक परिसरों में पढाई का माहौल होना चाहिए ना कि इस प्रकार का। जेएनयू में विद्यार्थियों को अगले सेमेस्टर का फॉर्म भरने से रोका जा रहा है। यह गलत है।