बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में कार्तिक मास कृष्णपक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ मनाई जाती है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं ही करती है। शहर के अमराईवाडी, नरोडा, नोबलनगर, रखियाल, सरसपुर, जोधपुर आदि इलाकों में रह रही इन राज्यों की महिलाओं ने करवा चौथ की तैयारी शुरू की है।
कालूपुर दरवाजा के निकट करवा व्यापारी पंकज लाला के अनुसार इस व्रत में करवे की पूजा की जाती है, जो शक्कर के बनते हैं। वह पिछले ५० वर्षों से करवा चौथ के लिए विशेष रूप से करवा तैयार कराते हैं। उनका कहना है कि इस वर्ष करवों की कीमत ३० रुपए लेकर ५० रुपए तक है। कुछ महिलाएं स्टील के बने करवा भी चढ़ाती हैं।
शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन किया जाता है। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए यह व्रत किया जाता है। करवा चौथ के दिन शाम को महिलाएं नए वस्त्र पहनकर व समूह में एकत्रित होकर एक-दूसरे को कहानी सुनाती हैं। बाद में चन्द्रमा को अध्र्य देकर चन्द्रमा की पूजा करती हैं। उसके बाद छलनी में से अपने पति का चेहरा देखने का प्रचलन है। कहानी सुनने के बाद घर की बुजुर्ग महिलाओं को उपहार देती हैं और पैर छू कर आशीर्वाद प्राप्त करती है। उपहार में कोई शक्कर के बने करवा देती हैं तो कोई तांबे या स्टील के करवा देती है।