दुबारा हमला कर सकता है कोरोना का वायरस डॉ. रावल ने कहा कि भविष्य में कोरोना वायरस का दूसरा म्युटेशन शरीर में आता है तो यह एंटीबॉडिज उसको पहचान पाएगी या नहीं, यह कहा नहीं जा सकता। नया म्युटेशन आएगा, वायरस शरीर में प्रवेश करेगा तो एंटीबॉडी उसे पहचान नहीं सकेगी, रोगी की रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होगी, उसकी उम्र बढ़ेगी, कोई भी नए रोग उम्र के साथ होंगे। यानी मधुमेह, रक्तचाप होने पर कोरोना का वायरस दुबारा हमला कर सकता है। हाल ही चीन के वुहान में नए मरीज आ रहे हैं, जो पहले कोरोना से संक्रमित थे, उपचार के बाद ठीक हो गए, उन्हें दुबारा का संक्रमण हुआ है।
चिकित्सकों के पास शोध वाला सबूत नहीं उन्होंने कहा कि चिकित्सक भी फिलहाल सभी प्रकार की जानकारी एकत्र कर रहे हैं, किसी के पास शोध वाला सबूत नहीं है। इसलिए कई चिकित्सकों का मानना है कि आने वाले समय में कोरोना के बाद का समय आएगा, उसमें कोरोना के साथ ही जीवन यापन करना है। कोरोना वायरस किसी भी म्युटेशन में आ सकता है। इसलिए भविष्य में मास्क पहनना है, छह फीट का अंतर रखना है, कफ पर नियंत्रण रखना है, साबुन से 20 सैकंड तक हाथ धोने हैं, जरूरतों को कम कर जितना संभव हो उतना घर में रहना है तभी कोरोना से बचना संभव है।
कोरोना की दो जटिलताएं उन्होंने कहा कि कोरोना की दो ही जटिलताएं हो रही हैं। वर्तमान समय में जो रोगी हैंं, युवा रोगी हैं और उन्हें अन्य कोई रोग नहीं है, वे तो बच जाते हैं। उन्हें अधिक आक्सीजन देकर वेन्टीलेटर पर रखकर लक्षण वाले रोगी को दी जाने वाली दवा देकर बचाना संभव है। जिनको मधुमेह, रक्तचाप, हृदय रोग, कैंसर की दवा चल रही है, स्टीरॉइड की गोलियां चल रही है उनको जटिलताएं बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि जिनकी उम्र अधिक है, रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होने के बावजूद जटिलताओं के कारण उन्हें ऑक्सीजन देनी पड़ती है या वेन्टीलेटर पर रखना पड़ता है। वेन्टीलेटर पर रहने वाले मरीज के लिए भी कोरोना की कोई दवाई नहीं है, केवल लक्षण के आधार पर दवाई दी जा रही है। फिर भी जिनकी उम्र अधिक है, रोग प्रतिरोधक शक्ति कम है, उनकी मृत्यु हो रही है।
कोरोना संक्रमण का स्वरूप अलग हो सकता है डॉ. रावल ने कहा कि जो कोरोना रोगी ठीक हो चुके हैं उनको दुबारा कोरोना का संक्रमण होने की संभावना है लेकिन उसका स्वरूप अलग हो सकता है। एक बार फेफड़े में तो अगली बार आंतों में, मस्तिष्क में भी हो सकता है। इसलिए आने वाले समय में कोरोना के रोगों के साथ ही जीना होगा। कोरोना अपना स्वरूप बदल सकता है, किसी दूसरे स्वरूप में भी आ सकता है लेकिन यह एक तर्क चल रहा है।
भविष्य में कोरोना के बीच रहने की संभावना कोई चिकित्सक निश्चित तौर पर नहीं कह सकता, कोई क्लिनिकल ट्रायल नहीं हुआ है, सब एक-दूसरे की बातें सुनकर अपनी बात जोड़कर बोलते हैं। वायरस के रोगों यानी इन्फ्लूएंजियम, पीलिया, स्वाइन फ्लू, डेंगू और बेक्टीरिया से होने वाले रोगों यानी न्युमोनिया, टीबी, लीवर रोग आदि के बीच ही फिलहाल लोग रह रहे हैं और जी रहे हैं। ऐसे ही भविष्य में कोरोना के साथ और बीच में रहने की संभावना है।
बचाव ही कोरोना का उपाय डॉ. रावल ने कहा कि अब तक जो समय घर के बाहर व्यतीत करते थे, वही समय अब घर में रहना है, मस्तिष्क को शांत रखना है, कोरोना से मौतों के आंकड़ों से डरना नहीं है, मस्तिष्क को मजबूत रखकर रोग प्रतिरोधक शक्ति को बनाकर और बढ़ाकर जीना है। मास्क पहनना है, छह फीट का अंतर रखना है, कफ पर नियंत्रण रखना है, साबुन से 20 सैकंड तक हाथ धोने हैं, सेनेटाइजर का उपयोग करना, जरूरतों को कम कर जितना संभव हो उतना घर में रहना है, भीड़ वाली जगहों यानी सिनेमाघर, मॉल, भविष्य में मंदिरों मेंं नहीं जाना, हो सके उतना स्वयं का समय मन को शांत रखने में लगाना और घर में बीताना है तभी कोरोना से बचना संभव है और यही कोरोना से बचाव के लिए उपाय है। यदि कोरोना को पकडऩे नहीं जाएंगे, तो कोरोना घर में नहीं घुसेगा, लक्ष्मण रेखा का पालन करना है। घर के बाहर पैर नहीं रखेंगे तो घर में कोरोना आने की कोई संभावना नहीं है।
कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करते हुए काम करें लॉक डाउन दिपावली तक और स्कूल अक्टूबर तक खुलने की कोई संभावना नहीं है, ई-क्लासेज संचालित की जाएगी। जहां संभव नहीं है यानी प्रेस वाले, पुलिस वाले, चिकित्सक और जिनका काम लोगों के साथ है वे बाजार में घूमेंगे। जिनता संभव हो, घर में बैठकर इलेक्ट्रानिक माध्यम से काम करना पड़ेगा। फील्ड में काम करने वालों को कफ नियंत्रित रखना, कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करते हुए काम करना होगा। मेडिकल री-प्रजेंटेटिव मोबाइल फोन पर चिकित्सकों को याद दिला सकते हैं, टीवी-फ्रिज बेचने वाले प्रतिनिधियों को ई-मीडिया से काम करना पड़ेगा, संभव हो तो किसी से आमने-सामने मिलने की संभावना कम रखनी है।