खंभात शहर में स्थित पीर मासुमशा बावा की दरगाह में मुस्लिमों के साथ - साथ हिंदू समाज के लोग भी श्रद्धा रखते हैं। इस दरगाह पर हिंदू मुस्लिम दोनों समाज के लोग आते हैं और मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद लोग दरगाह पर आते हैं और यहां पर चादर चढ़ाने के साथ ही इसे बांटते भी हैं। इसके साथ ही जो भी प्रसाद यहां पर चढ़ाया जाता है, उसे भी दोनों समाज के लोग प्रेम से खाते भी हैं। इस दरगाह की सफाई नियमित रूप से दो हिंदू बुजुर्ग नियमित रूप से करते हैं। इसमें 84 वर्षीय नगीन प्रजापति और 75 वर्षीय हसमुख खलासी शामिल है। रामनवमी के दिन भी यह दोनों बुजुर्ग दरगाह पर आए थे और नित्य की तरह दरगाह की सफाई की थी। रामनवमी के दिन जब दो गुटों के बीच यहां पर भिड़ंत हुई थी और पथराव हुआ था, उस समय कुछ लोगों ने इन दोनों बुजुर्गों को डंडा दिखाकर जान से मारने की धमकी दी थी और यहां से चले जाने को
कहा था।
इस संबंध में नगीन प्रजापति का कहना है कि रामनवमी के दिन जब यहां पर हंगामा हुआ था इस दौरान कुछ लोग दरगाह में घुस आए थे। इसमें खंभात के जो लोग शामिल थे उन्हें डंडा दिखाकर और सिर फोडऩे की इन्होंने धमकी दी थी। इसका असर हुआ कि इस वजह से काफी लोग दरगाह से चले गए थे और दरगाह में ज्यादा नुकसान नहीं
हुआ था।
दरगाह के प्रति दोनों में अटूट आस्था
नगीन और हंसमुख दोनों के अंदर इस दरगाह को लेकर अटूट श्रद्धा है। उनके अनुसार जब वे बहुत छोटे थे, तभी से दरगाह पर आते हैं। उनका व्यवसाय उनका पुत्र संभालता है। यही हाल इन दोनों दोस्तों की है। अब कामकाज से निवृत्ति मिलने के बाद दोनों दोस्त नियमित रूप से दरगाह पर आते हैं और सेवा भी करते हैं।
खंभात के जाने-माने समाज सेवक और गरीब हिंदू तथा मुस्लिम बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने वाले समाजसेवी जानिसार शेख के पिता का 2020 में अकबरपुर में हुई हिंसा की वजह से हार्ट अटैक हो गया था, और उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके बावजूद भी वे समाज सेवा का कार्य करते रहते हैं। हिंदू और मुस्लिम दोनों समाज के बच्चों को वह अपने खर्च पर पढ़ाते हैं। उनके अनुसार नवाबी जमाने से ही खंभात सामाजिक एकता का प्रतीक रहा है। यहां पर कभी भी जाति और धर्म को लेकर लड़ाई नहीं होती थी।
नगीन और हंसमुख दोनों के अंदर इस दरगाह को लेकर अटूट श्रद्धा है। उनके अनुसार जब वे बहुत छोटे थे, तभी से दरगाह पर आते हैं। उनका व्यवसाय उनका पुत्र संभालता है। यही हाल इन दोनों दोस्तों की है। अब कामकाज से निवृत्ति मिलने के बाद दोनों दोस्त नियमित रूप से दरगाह पर आते हैं और सेवा भी करते हैं।
खंभात के जाने-माने समाज सेवक और गरीब हिंदू तथा मुस्लिम बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने वाले समाजसेवी जानिसार शेख के पिता का 2020 में अकबरपुर में हुई हिंसा की वजह से हार्ट अटैक हो गया था, और उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके बावजूद भी वे समाज सेवा का कार्य करते रहते हैं। हिंदू और मुस्लिम दोनों समाज के बच्चों को वह अपने खर्च पर पढ़ाते हैं। उनके अनुसार नवाबी जमाने से ही खंभात सामाजिक एकता का प्रतीक रहा है। यहां पर कभी भी जाति और धर्म को लेकर लड़ाई नहीं होती थी।