मंडली में 16 किसान सदस्य सोलर ऊर्जा उत्पादन करने वाली किसानों की सहकारी मंडली की स्थापना ढुंडी गांव में फरवरी २०१६ में की गई, जिसमें १६ किसान सदस्य हैं। इनमें से नौ किसानों को कोलंबो स्थित इंटरनेशनल वाटर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट-टाटा वाटर पॉलिसी प्रोग्राम (आणंद) की ओर से नेशनल सोलर पावर मिशन के तहत ९५ प्रतिशत सहायता से सोलर सिस्टम उपलब्ध कराया गया। मंडली में तीन किसान एक वर्ष बाद जुड़े थे।
एमजीवीसीएल के साथ 25 वर्ष का समझौता इस गांव में १०.८ किलोवॉट के तीन संयंत्र, ८ किलोवॉट के तीन और पांच किलोवॉट के तीन सहित कुल ७१.४ किलोवॉट के नौ संयंत्र कार्यरत हैं। इन संयंत्रों में रोजाना ३५० यूनिट सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है। किसान इस सौर ऊर्जा का सिंचाई के लिए आवश्यकता के अनुसार उपयोग करते हैं। इसके बाद सरप्लस बिजली ग्रीड के मार्फत एमजीवीसीएल को ४.६३ रुपए की दर से बेचते हैं। इसके लिए मंडली ने एमजीवीसीएल के साथ २५ वर्ष का परचेज पावर एग्रीमेंट (पीपीए) किया है।
पहले सिंचाई के लिए करते थे डीजल पंप का उपयोग परमार के अनुसार पहले किसान सिंचाई के लिए डीजल पंप सेट का उपयोग करते थे। इससे प्रत्येक किसान को रोजाना ५०० से ७०० रुपए का खर्चा आता था। साथ में डीजल लेने के लिए जाने-आने का खर्च व समय भी खराब होता था। उन्होंने बताया कि डीजल इंजन से पर्यावरण को भी नुकसान होता था, लेकिन सोलर पंप से सिंचाई होने के कारण ग्रीन व स्वच्छ ऊर्जा मिलने के साथ-साथ प्रदूषण भी रुका है। किसानों को शुरुआत में दो में यूनिट प्रति १.२५ ग्रीन एनर्जी बोनस व १.२५ वाटर कंजरवेशन बोनस भी दिया जाता था।
सोलर पंप सेट के लाभ उन्होंने बताया कि सोलर पंप सेंट के चलते किसान अनुकूल समय में खेतों की सिंचाई कर सकते हैं। इतना ही नहीं, अपितु खेतों में पानी देने के लिए अब रात्रि जागरण नहीं करना पड़ता है। सोलर पंप के उपयोग से किसानों को हर महीने डीजल खर्च (करीब २० हजार रुपए) की बचत होती है। साथ ही अतिरिक्त बिजली की बिक्री से हर महीने करीब ५ हजार रुपए की आय मिल रही है। बिजली उत्पादन से मिलने वाली आय मंडली के सदस्यों को सहकारी नीतिनियमों के अनुसार दी जाती है।
देश-विदेश के प्रतिनिधि मंडलों ने किया दौरा
प्रवीणभाई के अनुसार ढुंडी मंडली का देश-विदेश के प्रतिनिधि मंडलों सहित राज्य के ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल एवं केन्द्रीय ऊर्जा सचिव ने दौरा किया।