'कानून के सभी विद्यार्थियों को साहित्य पढऩा चाहिए'
-पूर्व चीफ जस्टिस शाह ने देश के विश्वविद्यालयों में लॉ एंड लिटरेचर को विषय के रूप में पढ़ाए जाने की सिफारिश भी

अहमदाबाद. दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए. पी. शाह ने वकालत की पढ़ाई करने वाले बच्चों से कहा कि कानून के सभी विद्यार्थियों को साहित्य पढऩा चाहिए। कानून के सिद्धांतों को समझने के लिए साहित्य का ज्ञान अत्यंत जरूरी है।
शनिवार को गुजरात लॉ सोसाइटी (जीएलएस) सभागार में जस्टिस पी डी देसाई स्मारक व्याख्यानमाला के तहत ‘कानून व साहित्य’ के विषय पर अपनी बात रखते हुए पूर्व चीफ जस्टिस शाह ने देश के विश्वविद्यालयों में लॉ एंड लिटरेचर को विषय के रूप में पढ़ाए जाने की सिफारिश भी की। साथ ही सभी को मराठी फिल्म कोर्ट देखने की अपील करते हुए कहा कि कोर्ट वास्तविकता का आइना दिखाती है।
शेक्सपीयर की कृति ‘मर्चेन्ट ऑफ वेनिस’ कानून व समानता की कथा के रूप में थी। अमरीकी लेखक काफडा ने 400 से ज्यादा फैसलों का हवाला दिया है जो साहित्य व कानून की बात को प्रतिस्थापित करता है।
पूर्व जस्टिस शाह ने कहा कि महाभारत में भीष्म युधिष्ठिर से यह कहते हैं कि सत्यकाम के अनुसार गवर्नेन्स का मतलब नि:शक्त व्यक्ति की हत्या नहीं हो सकती है। ऐसी परिस्थिति का निर्माण का आशय होना चाहिए जिसमे व्यक्ति अच्छा बन सके।
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