इस गिरोह को तैली गिरोह के नाम से जाना जाता है। गिरोह के सदस्य जिस व्यक्ति के पास कुछ अच्छा और कीमती सामान होने का अंदाजा लगाते उसके वाहन के टायर में बैरिंग के छर्रों को डाल देते थे, जिससे वाहन के टायर से धीरे-धीरे हवा निकल जाती थी। जिस पर वाहन चालक कहीं दुकान पर टायर का पंक्चर बनवाने के लिए रुकता। ये आरोपी भी उसका पीछा करते। वाहन चालक पंक्चर बनवाने के दौरान व्यस्त रहता उसी समय ये उसके वाहन से कीमती सामान की चोरी कर लेते थे।