वकील कोष्टी की दलील के मुताबिक डिजास्टर मैनमेजमेंट एक्ट और ऐपिडेमिक डिजीज एक्ट के तहत लॉकडाउन लगाया गया, लेकिन इन दोनों कानून में भी लॉकडाउन शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है। लॉकडाउन लगाने से पहले पानी, भोजन, आश्रय, सेनिटेशन, राहत शिविर, मेडिकल सुविधाओं से जुड़़ी व्यवस्था करने के लिए नेशनल टास्क फोर्स की सिफारिशों का भी अमल नहीं किया गया है।
याचिका में यह भी कहा गया कि लॉकडाउन के कारण वृद्ध व बच्चे भी घर से नहीं निकल सके और सभी लोग बिना किसी अपराध के घरों में ही नजरबंद रहे। यह भी अनुच्छेद 21 के तहत निजी आजादी का उल्लंघन है। इसलिए सरकार के बिना किसी तर्क या वैज्ञानिक रूप से अनुसरण किए बिना ही लगाए गए लॉकडाउन को असवैधाननिक करार दिया जाना चाहिए।