गुजरात में लंपी वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। पशुओं में लंपी चर्म रोग (एलएसडी) की बीमारी अब राज्य के 22 जिलों मे ंफैल चुकी है। इनमें सौराष्ट्र-कच्छ के सभी 12 जिले शामिल हैं। राज्य में अब तक इस रोग से करीब 2000 गायों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा करीब 1200 गायों की मौत कच्छ जिले में हो चुकी है।
यहां पर इसके चलते कच्छ जिले में रोजाना गायों के दूध में संग्रह में 17 से 18 हजार लीटर की कमी आई है। सबसे पहले इसी जिले में इस रोग का मामला सामने आया था।
दूध के संग्रह में कमी के चलते सरहद डेयरी की ओर से भी गायों का टीकाकरण शुरू किया गया है। डेयरी के चेयरमैन व अमूल ब्रांड के उपाध्यक्ष वलमजी हुंबल के अनुसार जिले मेंं लंपी चर्म रोग से गायों की मौतें होने से कच्छ जिले में रोजाना गायों के दूध में संग्रह में 17 से 18 हजार लीटर की कमी आई है। गायों को रोग से बचाने के लिए जिला प्रशासन के साथ ही डेयरी की ओर से गायों का टीकाकरण अभियान तेज किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि रोग नियंत्रण में आने के बाद 15 दिन में दूध संग्रह में बढ़ोतरी की संभावना है।
जिला विकास अधिकारी भव्य वर्मा के अनुसार रोग फैलने के कारण पशु चिकित्सकों की टीमें गठित कर तहसीलवार जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिले के समन्वय अधिकारी डॉ. महेश ठक्कर जिले में मवेशियों के टीकाकरण की निगरानी कर रहे हैं। गांवों में युद्धस्तर पर टीकाकरण किया जा रहा है।
कच्छ जिले में लंपी वायरस से मवेशियों की मौत के बाद जिले के गांवों में समाजसेवी लोगों की ओर से भी गड्ढे खोदकर मृत मवेशियों के शवों को दफनाने में मदद की जा रही है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के दौरे के बाद जिले में मृत मवेशियों के सर्वे व पंजीकरण कार्य की शुरुआत की गई है।
यहां पर इसके चलते कच्छ जिले में रोजाना गायों के दूध में संग्रह में 17 से 18 हजार लीटर की कमी आई है। सबसे पहले इसी जिले में इस रोग का मामला सामने आया था।
दूध के संग्रह में कमी के चलते सरहद डेयरी की ओर से भी गायों का टीकाकरण शुरू किया गया है। डेयरी के चेयरमैन व अमूल ब्रांड के उपाध्यक्ष वलमजी हुंबल के अनुसार जिले मेंं लंपी चर्म रोग से गायों की मौतें होने से कच्छ जिले में रोजाना गायों के दूध में संग्रह में 17 से 18 हजार लीटर की कमी आई है। गायों को रोग से बचाने के लिए जिला प्रशासन के साथ ही डेयरी की ओर से गायों का टीकाकरण अभियान तेज किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि रोग नियंत्रण में आने के बाद 15 दिन में दूध संग्रह में बढ़ोतरी की संभावना है।
जिला विकास अधिकारी भव्य वर्मा के अनुसार रोग फैलने के कारण पशु चिकित्सकों की टीमें गठित कर तहसीलवार जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिले के समन्वय अधिकारी डॉ. महेश ठक्कर जिले में मवेशियों के टीकाकरण की निगरानी कर रहे हैं। गांवों में युद्धस्तर पर टीकाकरण किया जा रहा है।
कच्छ जिले में लंपी वायरस से मवेशियों की मौत के बाद जिले के गांवों में समाजसेवी लोगों की ओर से भी गड्ढे खोदकर मृत मवेशियों के शवों को दफनाने में मदद की जा रही है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के दौरे के बाद जिले में मृत मवेशियों के सर्वे व पंजीकरण कार्य की शुरुआत की गई है।
३३ में से 22 जिले प्रभावित राज्य में 33 में से 22 जिले इस रोग से प्रभावित हो चुके हैं। इनमें सौराष्ट्र-कच्छ के सभी 12 जिले-कच्छ, जामनगर, देवभूमि द्वारका, राजकोट, सुरेन्द्रनगर, मोरबी, अमरेली, भावनगर, बोटाद, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, पोरबंदर शामिल हैं। उत्तर गुजरात के चार जिले- बनासकांठा, पाटण, अरवल्ली, मेहसाणा, दक्षिण गुजरात के दो जिले- सूरत, वलसाड तथा मध्य गुजरात के 4 जिले – पंचमहाल, महीसागर, आणंद, वडोदरा शामिल हैं।