scriptahmedabad : 1500 वर्ष पहले स्वयंभू प्रकट हुईं मां आशापुरा | Maan Ashapura appeared 1500 years ago | Patrika News

ahmedabad : 1500 वर्ष पहले स्वयंभू प्रकट हुईं मां आशापुरा

locationअहमदाबादPublished: Oct 18, 2020 11:18:55 pm

Submitted by:

Rajesh Bhatnagar

नवरात्र विशेष
राजस्थान के व्यापारी की अधीरता के बावजूद आशा पूरी करने के कारण पड़ा नाम
 

ahmedabad : 1500 वर्ष पहले स्वयंभू प्रकट हुईं मां आशापुरा

भुज स्थित मां आशापुरा मंदिर।

– रमेश आहीर

भुज. कच्छ जिले की पश्चिम दिशा में स्थित माता ना मढ स्थित मां आशापुरा मंदिर काफी पुराना है। कच्छ की देशदेवी के तौर पर विख्यात मां आशापुरा करीब 1500 वर्ष पहले यहां स्वयंभू प्रकट हुईं।
दंतकथा के अनुसार राजस्थान से देवचंद वाणिया नामक एक व्यापारी कच्छ में व्यापार के लिए पहुंचा और इस स्थान पर ठहरा था। उसके स्वप्न में आईं मां आशापुरा ने यहां मंदिर बनवाने का संकेत देते हुए कहा था कि मंदिर निर्माण के छह महीने तक मंदिर के दरवाजे नहीं खोलना।
इसके बावजूद मंदिर का निर्माण करवाने के बाद अधीर होकर देवचंद ने छह महीनों पहले ही मंदिर के दरवाजे खोल दिए। इस कारण धरती में से मां आशापुरा का प्राकट्य अधुरा रहा और उनके पांव धरती में ही रहे, लेकिन मां आशापुरा ने पुत्र प्राप्ति की देवचंद की आशा पूरी की। इस कारण मां आशापुरा कहा जाने लगा। वर्तमान समय में भी अनेक भक्त अपनी मानता (बाधा) के साथ यहां नियमित तौर पर आते रहते हैं।
राजशाही युग में पूर्व राजा-महाराजा के लिए भुज में माताजी की मूर्तियों का स्वरूप स्थापित

भुज स्थित मां आशापुरा मंदिर के पुजारी जनार्दनभाई दवे के अनुसार भुज स्थित मां आशापुरा मंदिर में भी मां आशापुरा की दो मूर्तियां हैं। पूर्व राजशाही युग में भुज से शासन चलाया जाता था। उस समय पूर्व राजा-महाराजा के लिए भुज में ही प्रतिदिन माताजी के दर्शन करने की व्यवस्था की गई। माता ना मढ स्थित मां आशापुरा मंदिर से माताजी की मूर्तियों का स्वरूप भुज में स्थापित किया गया और भुज में भी मां आशापुरा का मंदिर निर्मित करवाया गया।
माता ना मढ में बंद, भुज में मंदिर खुला

मंदिर के ट्रस्टी प्रवीणसिंह वाढेर के अनुसार माता ना मढ स्थित मां आशापुरा मंदिर में भी सरकार के नियमों का पालन करने के लिए कटिबद्धता दर्शाई गई। इसके बावजूद नवरात्र में भक्तों की इच्छा से नखत्राणा के प्रांत अधिकारी को अवगत करवाया गया, लेकिन कोरोना संबंधी अधिसूचना अमल में होने के कारण माता ना मढ स्थित मां आशापुरा का मंदिर आगामी 25 अक्टूबर तक बंद रहेगा। हालांकि मात्र आरती व पूजा अर्चना के लिए मंदिर खुलेगा। फिलहाल मंदिर में गादीपति के तौर पर पूर्व राजा योगेन्द्रसिंह सेवा दे रहे हैं।
माता ना मढ में स्वयंभू प्रकट हुईं मां आशापुरा की मूर्तियों का दूसरा स्वरूप भुज स्थित मां आशापुरा मंदिर में है, इसलिए यहां नवरात्र में मंदिर खुला रखा है और भक्तगण यहां दर्शन का लाभ ले सकते हैं। माता ना मढ स्थित मां आशापुरा का मंदिर बंद रहने के कारण भुज स्थित मंदिर में अधिक संख्या में यात्रियों के आगमन की संभावना के मद्देनजर आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं।
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