इसलिए खास है बादलपरा गांव गिर सोमनाथ जिले के बादलपरा गांव में ग्राम पंचायत के चुनाव नहीं होते। सरपंच व सभी सदस्य और तलाटी-सचिव भी महिला है। गांव के लोक सेवक दिवंगत धानाभाई बारड परिवार की ओर से समाजसेवा के अनेक कल्याणकारी प्रकल्पों का निर्माण करवाया गया है। वर्षों से यह गांव संपूर्ण स्वच्छ व आदर्श गांव है। गांव के लोगों के सामूहिक प्रयासों से हरियाली है। पानी की हिफाजत हो रही है।
राज्य के अन्य गांवों के लिए प्रेरणा के समान भी बादरपरा गांव राज्य के अन्य गांवों के लिए प्रेरणा के समान भी है। सरस्वती व कपिला नदी के किनारे पर स्थित गांव में वाई-फाई सुविधा, सीसीटीवी कैमरों से केन्द्रीयकृत माइक प्रणाली उपलब्ध है। गांव व गांव की गलियों में पक्की सड़क व पांच हजार पौधों से यह गांव पर्यावरण मित्र बना है। वायु व ध्वनि प्रदूषण से मुक्त रहने के लिए पिछले तीन वर्षों से गांव में दिवाली व त्योहारों पर पटाखे नहीं फोड़े जाते। विवाह समारोहों में मात्र शहनाई व ढोल बजाए जाते हैं, विवाह समारोह में डी.जे. नहीं बजाया जाता।
प्रत्येक मार्ग पर नाम के साथ बच्चे रोपते हैं पौधे गांव में प्रतिवर्ष बच्चे पौधे रोपते हैं। गांव के प्रत्येक मार्ग पर प्रत्येक मार्ग पर नाम के साथ बच्चे पौधे रोपते हैं और संवर्धन भी करते हैं। गांव में पिछले 10 वर्ष से महिला नेतृत्व है। सार्वजनिक तौर पर पान मसाला, बीड़ी, गुटके के सेवन पर गांव में प्रतिबंध है। वर्ष 2007 से खुले में शौच से मुक्त गांव बनने पर तत्कालीन राष्ट्रपति की ओर से निर्मल गांव का अवार्ड प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री के हाथों वर्ष 2011 में स्वर्णिम गांव पुरस्कार व वर्ष 2015 में स्वच्छ गांव का पुरस्कार भी दिया गया।