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Ahmedabad News आईआईटी गांधीनगर में होगा भारतीय गणित के इतिहास का अध्ययन

locationअहमदाबादPublished: Nov 11, 2019 04:36:23 pm

IIT Gandhinagar, #History of Indian #Mathematics, Research, seminar, Kris Gopalakrishnan, support, develop programmes and support research scholars, conferences, publications शोध, सेमिनार, जागरुकता कार्यक्रमों को दिया जाएगा बढ़ावा, इन्फोसिस के सह संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन देंगे आर्थिक मदद

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अहमदाबाद.भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान IIT Gandhinagar (आईआईटी) गांधीनगर में History of Indian Mathematicsभारतीय गणित के इतिहास पर Study अध्ययन किया जाएगा। इसके लिए एक बड़ी परियोजना शुरू करने की घोषणा संस्थान की ओर से की गई है।
इस परियोजना के तहत संस्थान गणित के इतिहास व अध्ययन से जुड़े कार्यक्रमों को विकसित करेगा और अनुसंधान के लिए मदद देगा। सम्मेलन के आयोजनों के अलावा गणित से जुड़े प्रकाशनों को बढ़ावा देगा। संख्या प्रणालियों, geometry ज्यामिति, algebra बीजगणित, trigonometry त्रिकोणमिति और algorithmic methods एल्गोरिथमिक विधियों में भारत के योगदान के बारे में वैश्विक स्तर पर जागरुकता लाने में काम करेगा।
आईआईटी गांधीनगर के निदेशक Professor Sudheer jain प्रो. सुधीर जैन ने कहा भारत ने आधुनिक गणित के कई आधारों के लिए एक बड़ा योगदान दिया है। जिसका अच्छी तरह से अध्ययन नहीं किया जाता। व्यापक रूप से उसकी जानकारी भी नहीं है। लेकिन इस कमी को दूर करने के लिए इन्फोसिस के सह संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन ने आर्थिक मदद की घोषणा की है। उनकी ओर से दी जाने वाली आर्थिक मदद से आईआईटी की ओर से भारतीय गणित के इतिहास का व्यवस्थित रूप से अध्ययन किया जाएगा। इसके अलावा भारत और वैश्विक स्तर पर भारत के गणित में योगदान को प्रसारित करने के लिए कार्यक्रम किए जाएंगे।
Kris Gopalakrishnan क्रिस गोपालकृष्णन आईआईटी गांधीनगर के रिसर्च पार्क एडवाइजरी बोर्ड और इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप सेंटर के भी अध्यक्ष हैं। गोपालकृष्णन ने कहा कि ‘8वीं से 20वीं शताब्दी तक भारतीय लोगों की ओर से गणित के विकास के लिए किए गए महत्वपूर्ण कार्यों को बेहतर ढंग से समझने और उसके बारे में व्यापक जागरूकता लाने के लिए आईआईचटीटी गांधीनगर में शुरू होने जा रही परियोजना का समर्थन करने के लिए मुझे खुशी है। मुझे विश्वास है कि आईआईटी गांधीनगर इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करेगा।’
गणित विकास में भारत का अहम योगदान
दुनिया की प्राचीन संस्कृतियों में, भारत ने गणित में अभिनव, व्यापक और बुनियादी योगदान दिया है। ईसा पूर्व आठवीं से छठी शताब्दी के शुलबासूत्र से लेकर 19वीं शताब्दी के शंकर वर्मा के सदरत्नमाला तक, भारतीय गणित में आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य एवं माधव जैसे प्रसिद्ध नामों के साथ उपमहाद्वीप के लगभग हर हिस्से के कम-ज्ञात लेकिन प्रतिभाशाली विद्वानों की एक लंबी, निरंतर और संचयी बौद्धिक परंपरा रही है।
संख्यात्मक विधियों, ज्यामिति, बीजगणित, त्रिकोणमिति और एल्गोरिथ्म विधियों में अपनी प्रगति के माध्यम से, भारत ने आधुनिक गणित की कुछ नींवों में भई अहम योगदान दिया है।
बीसवीं शताब्दी में, यह योगदान नई नींव पर जारी रहा। एस रामानुजन को दुनिया के महान गणितज्ञों में माना जाता है, जबकि अन्य, जैसे कि श्यामदास मुखोपाध्याय, एस.एस. अभयंकर, के.एस. चंद्रशेखरन, राजचंद्र बोस, एस.एस. श्रीखंडे, हरीश-चंद्र और कई अन्य लोगों ने विभिन्न गणितीय विषयों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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