scriptMBA Student Makes and Sale Telescope एमबीए करने वाला विद्यार्थी दिन में दिखा रहा ‘ब्रह्मांड’ | MBA student makes and sale telescope | Patrika News

MBA Student Makes and Sale Telescope एमबीए करने वाला विद्यार्थी दिन में दिखा रहा ‘ब्रह्मांड’

locationअहमदाबादPublished: Jul 10, 2019 08:40:33 pm

खुद बनाकर बेच रहा है टेलीस्कोप, गुजरात इनोवेशन काउंसिल ने दी है आर्थिक मदद, ईडीआई का भी ऐलान, कई स्कूल, विश्वविद्यालय बने खरीददार

Advait Raval Student

MBA Student Makes and Sale Telescope एमबीए करने वाला विद्यार्थी दिन में दिखा रहा ‘ब्रह्मांड’

नगेन्द्र सिंह

अहमदाबाद. भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई) से व्यापार प्रबंधन के गुर सीखने वाला विद्यार्थी इन दिनों स्कूल-कॉलेजों के विद्यार्थियों को दिन में ‘ब्रह्मांड ‘ दिखाने में जुटा है। जिसमें आठों ग्रह, उनके उपग्रह, तीन गैलेक्सी, चार नेब्युला (अंतरतारकीय बादल) को दिखा रहा है।
ऐसा कर रहे हैं अहमदाबाद के रहने वाले अद्वैत रावल। जो पैराबोलिक रिफ्लेक्टर टेलीस्कॉप बना कर बेचने में जुटे हैं। जिसके लिए उन्होंने नो योर स्काई नाम का स्टार्टअप शुरू किया है। अद्वैत का दावा है कि भारत में वे इकलौते शख्स हैं जो इस प्रकार के टेलीस्कॉप को भारत में ही अपने हाथों से बनाकर बेचने का स्टार्टअप चलाते हैं। वैसे इसे विदेशों से खरीदकर लाना पड़ता है।
अहमदाबाद शहर और राजकोट के कई स्कूल और विश्वविद्यालय रावल के हाथों से बनाए टेलीस्कोप के कद्रदान हैं,उसका उपयोग कर रहे हैं।
गुजरात इनोवेशन काउंसिल (जीआईसी) के स्टूडेंट स्टार्टअप एंड इनोवेशन सोसायटी (एसएसआई) ने अद्वैत को टेलीस्कोप बनाने के स्टार्टअप के लिए करीब दो लाख रुपए की आर्थिक मदद की है।
ईडीआईआई ने भी अद्वैत को भारत में टेलीस्कोप को विकसित करने के लिए आर्थिक मदद का ऐलान किया है। जिसके लिए अद्वैत रावल को ईडीआई ने २०१७-१९ बैच के एसएसआईपी अवार्ड से नवाजा भी है।
देखा चंद्रग्रहण तो आया विचार
अद्वैत रावल बताते हैं कि ईडीआईआई से बिजनेस एन्टरप्रिन्योरशिप में एमबीए करते समय पड़े चंद्र ग्रहण को देखने के लिए जब टेलीस्कोप को लाया गया उस दौरान उसकी ऊंची कीमत, भारी वजन की जानकारी होने पर इसे बनाने का विचार आया, क्योंकि भारत में कोई इसे बनाता नहीं है। चीन में ही ज्यादातर बनकर आते हैं।
पॉकेट टेलीस्कोप जल्द, जन्मदिन पर कर सकेंगे गिफ्ट
अद्वैत रावल बताते हैं कि वे एक पॉकेट टेलीस्कोप भी बना रहे हैं। जिसे १५० रुपए में उपलब्ध कराने का विचार है, ताकि लोग स्कूली बच्चों को उनके जन्मदिन पर चॉकलेट भेंट करने की जगह टेलीस्कोप गिफ्ट करें। टेलीस्कोप में 11 प्रोडक्ट हैं। आगामी कुछ महीनों में ही सभी प्रकार के टेलीस्कोप को बनाएंगे, जिसकी कीमत बाजार में मिलने वाले टेलीस्कोप की तुलना में काफी कम होगी।
इन स्कूल-कॉलेजों में हो रहा है उपयोग
रावल बताते हैं कि पीडीपीयू, सौराष्ट्र विवि, गुजरात विद्यापीठ, पीआरएल, आनंद निकेतन स्कूल में दो, डीपीएस गांधीनगर एक, पोद्दार इंटरनेशनल स्कूल चांदखेड़ा, कड़ी सर्व विश्वविद्यालय, सेंट जेवियर्स स्कूल गांधीनगर में उनके टेलीस्कोप का उपयोग किया जा रहा है।
बेहतर गुणवत्ता, सुरक्षा भी अधिक
नो योर स्काई की ओर से बनाए गए केवाईएस ६.३ टेलीस्कोप को बीते कुछ महीनों से उपयोग किया जा रहा है। इसमें ६.३ इंच का मिरर है। समर वर्कशॉप, टीचर ट्रेनिंग में ये काफी मददरूप है। इसकी गुणवत्ता बेहतरीन है। सुरक्षा भी अधिक है।
-डॉ.प्रसन्न गांधी, डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ लोंग एजूकेशन, गुजरात विद्यापीठ
ये हैं फायदे
स्कूलों में सातवीं कक्षा से ही ब्रह्मांड, ग्रह, तारे, सौरमंडल को पढ़ाया जाता है। इस टेलीस्कोप की मदद से विद्यार्थी इन ग्रहों, तारों, सौरमंडल को देखकर उसके बारे में जान सकेंगे। कीमत और वजन काफी कम होने से गुणवत्ता बेहतर होने से स्कूल-कॉलेज इसे खरीद कर अपने बच्चों को दिखा सकते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो