गैर निवासी विद्यार्थियों के भी आवेदन स्वीकारें
अहमदाबादPublished: Jun 14, 2018 06:23:53 pm
– हाईकोर्ट का एडमिशन कमिटी को निर्देश
-मेडिकल पाठ्यक्रम दाखिला मामला
गैर निवासी विद्यार्थियों के भी आवेदन स्वीकारें
अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में राज्य में मेडिकल पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए गैर निवासी विद्यार्थियों के आवेदन स्वीकारने और विचार करने को कहा है। साथ ही यह भी कहा गया है कि उन विद्यार्थियों के भी आवेदन स्वीकारे जाएं जिन्होंने दसवीं बोर्ड की परीक्षा गुजरात के स्कूल से उत्तीर्ण नहीं की है।
मुख्य न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एडमिशन कमिटी फॉर प्रोफेशनल अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेस (एसीपीयूजीसी) को यह निर्देश देते हुए कमिटी और राज्य सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। कमिटी से इन याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर विचार करने को भी कहा है। मामले की अगली सुनवाई 26 जून को रखी गई है।
करीब ढाई दर्जन से ज्यादा विद्याॢथयों ने वकील राहुल शर्मा के मार्फत याचिका दायर करते हुए राज्य सरकार के वर्ष 2017 के नियम को चुनौती दी है। गुजरात प्रोफेशनल ेएजूकेशनल कोर्सेस (नामांकन व फीस निर्धारण नियम) नियम, 2017 के मुताबिक गया है कि वैसे विद्यार्थियों को मेडिकल पाठ्यक्रम में राज्य कोटे में दाखिला मिलेगा जिन्होंने 10वीं बोर्ड परीक्षा गुजरात से उत्तीर्ण की हो।
इसके साथ-साथ याचिकाकर्ताओं ने गुजरात प्रोफेशनल मेडिकल एजूकेशनल कोर्सेस (अंडरग्रेजुएट कोर्सेस में नामांकन नियमन) नियम, 2018 को भी चुनौती दी है। इसके तहत राज्य के मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए राज्य का निवासी होना जरूरी है। यह दोनों प्रावधान अतार्किक व असंवैधानिक हैं क्योंकि इससे उन विद्यार्थियों को मेडिकल पाठ्यक्रम में दाखिले का अवसर नहीं मिल सकेगा जिन्होंने 10वीं बोर्ड की परीक्षा गुजरात के बाहर से तथा 12वीं बोर्ड परीक्षा गुजरात से उत्तीर्ण की हो।
इससे पहले भी गुजरात के मेडिकल पाठ्यक्रमों में राज्य से ही 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों को ही राज्य कोटे से प्रवेश दिए जाने के नियम को चुनौती देने के मामले में खंडपीठ ने अंतरिम निर्देश दिया। न्यायालय ने इन विद्यार्थियों के आवेदन स्वीकार करने को कहा था।
इसी मामले में न्यायालय ने सरकार के नियमों को उचित बताने की मांग के साथ गुजरात डॉमिसाइल पैरेन्ट्स एसोसिएशन को प्रतिवादी बनाए जाने की मांग स्वीकारी।