एमएसयू सीनेट सदस्य दीपक के यहां भी की थी रैकी
क्राइम ब्रांच जेसीपी जे.के.भट्ट ने पहली बार खुलासा किया कि गिरफ्त में आए आतंकी अब्दुल सुभान उर्फ तौकिर ने वर्ष २००८ में बम धमाकों को अंजाम देने से पहले ही फिलहाल एलिसब्रिज से विधायक राकेश शाह और वडोदरा एमएसयू के सीनेट सदस्य दीपक शाह के घर व कार्यालय की रैकी भी की थी। यह वडोदरा में भी बम धमाके करने चाहता था। इसके लिए इसने वडोदरा के हिंदू आबादी बहुल इलाकों की भी रैकी की थी। रखियाल के यूनुस मंसूरी के पास से आर्थिक मदद लेकर इसने आतंकी अतीफ उर्फ बशर की पहचान कयामुद्दीन से कराई। उस्मान अगरबत्ती वाला के लैपटॉप का उपयोग कर इंटरनेट से बम बनाने की सामग्री अपलोड की थी।
क्राइम ब्रांच जेसीपी जे.के.भट्ट ने पहली बार खुलासा किया कि गिरफ्त में आए आतंकी अब्दुल सुभान उर्फ तौकिर ने वर्ष २००८ में बम धमाकों को अंजाम देने से पहले ही फिलहाल एलिसब्रिज से विधायक राकेश शाह और वडोदरा एमएसयू के सीनेट सदस्य दीपक शाह के घर व कार्यालय की रैकी भी की थी। यह वडोदरा में भी बम धमाके करने चाहता था। इसके लिए इसने वडोदरा के हिंदू आबादी बहुल इलाकों की भी रैकी की थी। रखियाल के यूनुस मंसूरी के पास से आर्थिक मदद लेकर इसने आतंकी अतीफ उर्फ बशर की पहचान कयामुद्दीन से कराई। उस्मान अगरबत्ती वाला के लैपटॉप का उपयोग कर इंटरनेट से बम बनाने की सामग्री अपलोड की थी।
अहमदाबाद में धमाके कर जबलपुर गया
जेसीपी भट्ट ने बताया कि अब तक की जांच में सामने आया कि अहमदाबाद में धमाके करने के बाद तौकिर अहमदाबाद से कयामुद्दीन कापडिय़ा, मुजीब, आलमजेब अफरीदी के साथ पहले जबलपुर गया फिर वहां से अलग अलग जगह गया और आखिरकार बिहार में हसीब रजा के घर आसरा लिया था।
जेसीपी भट्ट ने बताया कि अब तक की जांच में सामने आया कि अहमदाबाद में धमाके करने के बाद तौकिर अहमदाबाद से कयामुद्दीन कापडिय़ा, मुजीब, आलमजेब अफरीदी के साथ पहले जबलपुर गया फिर वहां से अलग अलग जगह गया और आखिरकार बिहार में हसीब रजा के घर आसरा लिया था।
इस्तीफे में लिखा था धर्म के लिए देना है पूरा साल
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया कि तौकिर ने मार्च २००१ में अपनी कंपनी से इस्तीफा दे दिया था। बताते हैं कि इस्तीफा पत्र में उसने लिखा था कि वह पूरा एक साल धर्म और इबादत को समर्पित करने में व्यतीत करना चाहता है। सिमी और आईएम में इसे सिंगर और भारत का ओसामा बिन लादेन के नाम से भी जानते हैं। तौकिर के ईमेल का नाम अल-अरबी था।
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया कि तौकिर ने मार्च २००१ में अपनी कंपनी से इस्तीफा दे दिया था। बताते हैं कि इस्तीफा पत्र में उसने लिखा था कि वह पूरा एक साल धर्म और इबादत को समर्पित करने में व्यतीत करना चाहता है। सिमी और आईएम में इसे सिंगर और भारत का ओसामा बिन लादेन के नाम से भी जानते हैं। तौकिर के ईमेल का नाम अल-अरबी था।
नहीं किया पत्नी, बच्चों का संपर्क!
क्राइम ब्रांच जेसीपी जे.के.भट्ट ने बताया कि मुबंई में २००६ में ट्रेनों में हुए बम धमाके के बाद से ही तौकिर ने मुंबई छोड़ दिया। इसके बाद से वह कभी भी मुंबई में रहने वाली उसकी पत्नी आरिफाबेगम-तीन बच्चों-पुत्र जैनब, पुत्री-हन्जला,जवेरिया (जूही) से नहीं मिला। १९९९-२००० में इसका विवाह हुआ था। ना ही पिता हाजी उस्मान, पिता जुबेदा से संपर्क किया। १९७२ में जन्मे तौकिर ने १९९५ में नई मुंबई विद्यापीठ से इंडस्ट्रियल इलैक्ट्रोनिक में डिप्लोमा किया। १९९६ में मुंबई रेडिकल सोल्यूशन कंपनी में जॉब की और तेज दिमाग होने के चलते कई नामी कंपनियों के प्रोजेक्ट किए। बताते हैं कि यह वर्ष १९९८ से सिमी से जुड़ा। यह आईएम का संस्थापक भी है। पहली बार अगस्त २००१ में सफदर नागोरी की ओर से की गई कॉन्फ्रेस के वीडियो में यह दिखा था।
क्राइम ब्रांच जेसीपी जे.के.भट्ट ने बताया कि मुबंई में २००६ में ट्रेनों में हुए बम धमाके के बाद से ही तौकिर ने मुंबई छोड़ दिया। इसके बाद से वह कभी भी मुंबई में रहने वाली उसकी पत्नी आरिफाबेगम-तीन बच्चों-पुत्र जैनब, पुत्री-हन्जला,जवेरिया (जूही) से नहीं मिला। १९९९-२००० में इसका विवाह हुआ था। ना ही पिता हाजी उस्मान, पिता जुबेदा से संपर्क किया। १९७२ में जन्मे तौकिर ने १९९५ में नई मुंबई विद्यापीठ से इंडस्ट्रियल इलैक्ट्रोनिक में डिप्लोमा किया। १९९६ में मुंबई रेडिकल सोल्यूशन कंपनी में जॉब की और तेज दिमाग होने के चलते कई नामी कंपनियों के प्रोजेक्ट किए। बताते हैं कि यह वर्ष १९९८ से सिमी से जुड़ा। यह आईएम का संस्थापक भी है। पहली बार अगस्त २००१ में सफदर नागोरी की ओर से की गई कॉन्फ्रेस के वीडियो में यह दिखा था।