गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष मोरबी पुल हादसे में 135 मृतकों के परिवारों, 56 घायल व्यक्तियों और सात अनाथ बच्चों को ओरेवा कंपनी ने मुआवजा देने की पेशकश की है। हाईकोर्ट ने पीड़ितों को मुआवजा देने के ओरेवा ग्रुप के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि, साथ ही यह भी कहा कि यह कंपनी को किसी भी दायित्व से मुक्त नहीं करेगा। ओरेवा ग्रुप (अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड) मोरबी जिले में मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के सस्पेंशन ब्रिज के संचालन और रखरखाव का कार्य देख रही थी, जो पिछले साल 30 अक्टूबर को ढह गया था। इस हादसे में 135 लोगों की मौत हुई थी। हादसे के बाद राज्य सरकार ने एक विशेष जांच दल का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में कंपनी की ओर से कई खामियों को उजागर किया था।
मोरबी पुल हादसे को लेकर दायर संज्ञान याचिका पर सुनवाई कर रही गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को ओरेवा ग्रुप की ओर से बताया गया कि कंपनी केवल ब्रिज का रखरखाव एक वाणिज्यिक उद्यम की बजाय एक परोपकारी गतिविधियों के हिस्से के रूप में कर रही थी। इस मामले में प्रतिवादी ओरेवा कंपनी ने 135 मृतकों के परिवारों, 56 घायल व्यक्तियों और सात अनाथ बच्चों को मुआवजा देने की पेशकश की है।
इसके लिए अदालत ने कंपनी को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि इस तरह का कार्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी दायित्व से मुक्त नहीं करेगा। हाई कोर्ट ने कहा कि कंपनी निष्पक्ष रूप से स्वीकार करती है कि इस तरह के मुआवजे के भुगतान से किसी भी तरह से किसी अन्य पक्ष के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। साथ ही खंडपीठ ने कहा कि कंपनी को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।
मोरबी पुल हादसे को लेकर दायर संज्ञान याचिका पर सुनवाई कर रही गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को ओरेवा ग्रुप की ओर से बताया गया कि कंपनी केवल ब्रिज का रखरखाव एक वाणिज्यिक उद्यम की बजाय एक परोपकारी गतिविधियों के हिस्से के रूप में कर रही थी। इस मामले में प्रतिवादी ओरेवा कंपनी ने 135 मृतकों के परिवारों, 56 घायल व्यक्तियों और सात अनाथ बच्चों को मुआवजा देने की पेशकश की है।
इसके लिए अदालत ने कंपनी को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि इस तरह का कार्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी दायित्व से मुक्त नहीं करेगा। हाई कोर्ट ने कहा कि कंपनी निष्पक्ष रूप से स्वीकार करती है कि इस तरह के मुआवजे के भुगतान से किसी भी तरह से किसी अन्य पक्ष के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। साथ ही खंडपीठ ने कहा कि कंपनी को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।
इससे पहले, ओरेवा कंपनी के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है, जबकि पटेल ने मोरबी कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने बुधवार को मोरबी नगरपालिका को भी फटकार लगाई और कहा कि नगरपालिका अपने हलफनामे में यह खुलासा करने में विफल रही है कि ओरेवा समूह को 29 दिसंबर, 2021 से 7 मार्च, 2022 को पुल के बंद होने तक उपयोग करने की अनुमति कैसे दी गई।
अदालत ने कहा कि ओरेवा पुल का उपयोग कर रहा था जबकि इसके उपयोग के लिए कोई मंजूरी नहीं थी। नगरपालिका के हलफनामे से यह भी सामने आएगा कि 8 मार्च 2022 के समझौते को औपचारिक रूप से नगरपालिका की आम सभा द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था।