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गुजरात के 43 फीसदी किसान कर्ज में डूबे!

locationअहमदाबादPublished: Nov 18, 2018 11:26:03 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

कांग्रेस का दावा

gujarat congress

गुजरात के 43 फीसदी किसान कर्ज में डूबे!

अहमदाबाद. गुजरात के किसानों की औसतन आय सिर्फ 3573 रुपए है, जो हरियाणा और पंजाब के किसानों की औसतन आय से तीसरे भाग की है। गुजरात के करीब 43 फीसदी किसान कर्ज में डूबे हैं। आर्थिक बदहाली और फसल बर्बाद होने से पिछले 30 दिनों में 16 से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने यह दावा किया है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार के किसानों के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं और किसानों की आवक दोगुना करने के दावों की केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट ने पोल खोल दी है , जिसमें लघु एवं मध्यम किसानों की स्थिति अत्यंत दयनीय और खस्ताहाल बताई गई है। विशेषतौर पर गुजरात, जहां किसानों की औसतन आवक 3573 रुपए है। गुजरात में 58.72 लाख ग्रामीण परिवारों में से 66.9 फीसदी लोग कृषि पर निर्भर हैं अर्थात् 39.31 लाख ग्रामीण परिवारों में से 16.74 लाख परिवार कर्ज में डूबे हैं। किसानों के हित में योजनाएं तो कई हैं, लेकिन योजनाओं का लाभ किसानों के बजाय भाजपा के बिचौलिए करोड़ों का घोटाला कर किसानों का हक और अधिकार छीन रहे हैं।
दोशी ने कहा कि वाइब्रन्ट गुजरात के बहाने लाल जाजम बिछाकर उद्योगों को कई राहत दी गई। सस्ती जमीनें और कर माफी जैसे लाभ दिए गए। वहीं किसान परेशानी झेल रहे हैं। एक लाख के बजाय चार लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने नवम्बर 2015 में की थी, लेकिन किसान विरोधी भाजपा सरकार की मानसिकता के चलते घोषणाएं सिर्फ कागजों पर रह गईं। मौजूदा समय में राज्य सरकार हादसों के किस्से में परिजनों को एक लाख रुपए के बजाय दो लाख रुपए की घोषणा करती है। उन्होंने मांग की है कि हादसे के शिकार होने वाले किसान के परिजनों को चार लाख रुपए के हिसाब से भुगतान करना चाहिए।
‘किसान व पशुपालकों के प्रति संवेदनशील बने भाजपा सरकार’
अहमदाबाद. गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा कि राज्य के अलग-अलग जिलों में स्थानीय स्थिति का अध्ययन करने के बाद किसानों, पशुपालकों और नागरिकों के हित में अकालग्रस्त तालुका घोषित करने को लेकर लम्बे समय से कांग्रेसी विधायकों मुद्दा उठाते रहे हैं। आखिरकार राज्य सरकार को 45 तहसीलों को अकालग्रस्त घोषित करना पड़ा। उन्होंने मांग की है कि अभी भी 96 गांवों को अकालग्रस्त घोषित कर वहां पर्याप्त सहायता मुहैया करानी चाहिए। उन्होंने भाजपा सरकार पर प्रहार किया कि जल प्रबंधन में भाजपा सरकार पूरी तरह विफल रही है, जिसका गुजरात के लाखों परिवार और किसान शिकार बने हैं। उन्होंने भाजपा सरकार से सवाल करते हुए कहा कि अकालग्रस्त प्रभावितों को तत्काल सहायता मुहैया कराने के बजाय 1 दिसम्बर से सहायता मुहैया कराना कहां तक उचित है। कांग्रेस की सरकार समय पर ही केशडोल्स, घासचारे का प्रावधान, पानी और राहत कार्य मुहैया कराती रही है। राज्य की भाजपा सरकार वाहवाही लूटने और घोषणाओं पर करोड़ों रुपए खर्र्च कर किसानों और अकालग्रस्त पीडि़तों से अन्याय कर रही है। भाजपा सरकार पशुपालकों और किसानों के प्रति सरकार संवेदनशील बने।
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