रासायनिक औद्योगिक आपदा के क्षेत्र में क्षमता विकास व प्रशिक्षण के लिए, गुजरात में टॉक्सीकोलॉजी केंद्र की स्थापना करने की भी योजना
अहमदाबाद. फिक्की की ओर से 33वें व गुजरात राज्य में पहली बार आयोजित केमिकल औद्योगिक आपदा प्रबंधन सम्मेलन में रायनिक औद्योगिक आपदा के क्षेत्र में क्षमता विकास व प्रशिक्षण के लिए गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (जीआईडीएम) व फिक्की के बीच एमओयू पर बुधवार को हस्ताक्षर किए गए।
औद्योगिक आपदा प्रबंधन सम्मेलन में राज्य के मुख्य सचिव डॉ. जे.एन. ङ्क्षसह ने औपचारिक तौर पर उद्घाटन सत्र में कहा कि गुजरात में 36179 कारखाने पंजीकृत हैं। भारत में विशेषतौर पर गुजरात में अधिकांश रासायनिक उद्योग हैं इसलिए मानव निर्मित आपदाओं के लिए असुरक्षित भी है। ऐसी आपदाओं को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं लेकिन हमें किसी भी तरह की आपदाओं से निपटने के लिए हर समय तैयार करना होगा।
फिक्की की ओर से 33वें व गुजरात राज्य में पहली बार आयोजित केमिकल औद्योगिक आपदा प्रबंधन सम्मेलन में जीआईडीएम के महानिदेशक व सार्क इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट सेंटर के निदेशक पी.के. तनेजा और फिक्की के उप महासचिव निरंकर सक्सेना ने मुख्य सचिव डॉ. जे.एन. सिंह की मौजूदगी में एमओयू पर हस्ताक्षर किए। प्रशिक्षण के साथ ही गुजरात में टॉक्सीकोलॉजी (विष विज्ञान) केंद्र की स्थापना करने की भी योजना है। तनेजा ने कहा कि जीआईडीएम की ओर से अब पीपीपी पर अधिक जोर दिया जा रहा है, इसके तहत सरकार साधन व सुविधाएं और संस्थाएं विशेषज्ञों की सेवाएं व साधन-सुविधाएं उपलब्ध करवा सकती हैं।
फिक्की की ओर से 33वें व गुजरात राज्य में पहली बार आयोजित केमिकल औद्योगिक आपदा प्रबंधन सम्मेलन में भारत सरकार के पूर्व सचिव व गुजरात कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और पीएनजीआरबी के पूर्व चेयरमैन एल. मानसिंह ने प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए सरकारों की ओर से निरंतर उठाए गए कदमों की जानकारी दी। सम्मेलन में फिक्की के उप महासचिव निरंकर सक्सेना ने स्वागत भाषण दिया। सम्मेलन में गुजरात,
मध्य प्रदेश , राजस्थान के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।