वे सोमवार को पाटण में आयोजित दो दिवसीय संगीत समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह की शुरुआत कराते हुए उन्होंने कहा कि पाटण ने गुजरात की प्राचीन राजधानी है। पाटण में रानी की वाव की गरिमा मनाने का उत्सव है। पाटण गुजरात की अस्मिता का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि रानी की वाव, मोढेरा सूर्यमंदिर, रुद्र-महालय, बिंदू सरोवर जैसे विभिन्न स्थापत्यों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री रूपाणी ने गुर्जरधरा को मिले अनोखे स्थापत्यों की भूमिका दी थी। कच्छ का सफेद रण, स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, गिर के शेर, सोमनाथ एवं द्वारका के प्राचीन मंदिर गुजरात की वैविध्यता का खजाना हैं।
उन्होंने कहा कि गुजरात के विकास में अनोखी विरासत, कला एवं स्थापत्य का भी अमूल्य योगदान है। संगीत समारोह से पूर्व मुख्यमंत्री ने विश्व विरासत रानी की वाव का दौरा किया। इसके अलावा, उन्होंने पाटण के पौराणिक कालिका मां मंदिर के दर्शन व आरती की। विरासत संगीत समारोह में गजल सम्राट हरिहरन, लोकगायक जिग्नेश बारोट एवं लोकगायिका गीताबेन रबारी ने संगीत प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस मौके पर श्रम व रोजगार मंत्री दिलीप ठाकोर, खेल-कूद युवा व सांस्कृतिक विभाग के मंत्री ईश्वरसिंह पटेल, पाटण जिला प्रभारी मंत्री वासण आहिर, खेल-कूद युवा व सांस्कृतिक प्रवृत्ति विभाग के प्रमुख सचिव सी. वी. सोम, जिला कलक्टर आनंद पटेल, जिला पुलिस अधीक्षक अक्षयराज मकवाणा आदि उपस्थित रहे।