अहमदाबाद. बचपन का सपना आज पूरा हो गया। ये शब्द हैं सूरत के हरमीत देसाई के जिन्हें इस वर्ष अर्जुन पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है।
तिरूवनंतपुरम से पत्रिका से फोन पर बातचीत में हरमीत ने कहा कि उन्हें काफी खुशी है कि उन्हें इतने प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। उन्होंने कहा कि उनका सपना था कि वे टेबल टेनिस खेल के लिए अर्जुन पुरस्कार जीतें और यह सपना नामांकित होने के साथ ही सच हो गया है।
गत वर्ष आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुष टीम के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले हरमीत कहते हैं कि जब बचपन में उनके पिताजी कहते थे कि बेटा, तुम्हें अर्जुन अवार्ड जीतना है तब उन्हें इस बारे में कोई अंदाजा नहीं था, लेकिन अब जब राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए टेबल टेनिस में पदक मिलता है तब पता चलता है कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के क्या मायने हैं।
राष्ट्रमंडल खेल के टेबल टेनिस में पुरुष युगल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाले हरमीत ने कहा कि अर्जुन पुरस्कार के नामांकन की खबर पाकर उनके माता-पिता काफी भाव विह्वल हो गए और कहा कि बचपन में देखा उनका सपना आज पूरा हो गया।
हरमीत के मुताबिक उनके पिता के कड़ी मेहनत के कारण ही आज यह सब कुछ सच हो सका है। अर्जुन पुरस्कार मिलने से उन्हेें देश के लिए और ज्यादा पदक प्राप्त करने की प्रेरणा मिलेगी।
तिरूवनंतपुरम से पत्रिका से फोन पर बातचीत में हरमीत ने कहा कि उन्हें काफी खुशी है कि उन्हें इतने प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। उन्होंने कहा कि उनका सपना था कि वे टेबल टेनिस खेल के लिए अर्जुन पुरस्कार जीतें और यह सपना नामांकित होने के साथ ही सच हो गया है।
गत वर्ष आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुष टीम के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले हरमीत कहते हैं कि जब बचपन में उनके पिताजी कहते थे कि बेटा, तुम्हें अर्जुन अवार्ड जीतना है तब उन्हें इस बारे में कोई अंदाजा नहीं था, लेकिन अब जब राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए टेबल टेनिस में पदक मिलता है तब पता चलता है कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के क्या मायने हैं।
राष्ट्रमंडल खेल के टेबल टेनिस में पुरुष युगल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाले हरमीत ने कहा कि अर्जुन पुरस्कार के नामांकन की खबर पाकर उनके माता-पिता काफी भाव विह्वल हो गए और कहा कि बचपन में देखा उनका सपना आज पूरा हो गया।
हरमीत के मुताबिक उनके पिता के कड़ी मेहनत के कारण ही आज यह सब कुछ सच हो सका है। अर्जुन पुरस्कार मिलने से उन्हेें देश के लिए और ज्यादा पदक प्राप्त करने की प्रेरणा मिलेगी।