मेरी Jammu kashmir यात्रा…..#370#
अहमदाबादPublished: Aug 05, 2019 10:00:13 pm
स्थानीय लोगों की जीवन शैली और विचारों से लग रहा था
मेरी Jammu kashmir यात्रा…..#370#
उपेन्द्र शर्मा
अहमदाबाद. यह बात है 20 अगस्त से 19 सितम्बर (2006) के बीच की। मैं शामिल था रक्षा मंत्रालय की ओर से कराए जाने वाले डिफेन्स कॉरस्पोंडेन्ट कोर्स में। देश भर से हम करीब 26 पत्रकार थे जो भारतीय सेना के साथ इस कोर्स को कर रहे थे। जम्मु, रजौरी, नौशेरा, पुंछ, कश्मीर आदि इलाकों में पहुंचते ही लगा मानों वाकई यह इलाका देश का हिस्सा होते हुए भी ना जाने क्यूँ शेष भारत जैसा नहीं था। ऐसा भौगोलिक विभिन्नता के कारण नहीं बल्कि स्थानीय लोगों की जीवन शैली और विचारों से लग रहा था।
कश्मीर वालों को सबकुछ चाहिये था भारत से लेकिन भारत के नाम पर उनकी सोच ऐसी थी मानों कोई एहसान कर रहे हैं भारत के साथ रह कर। जम्मु क्षेत्र में ऐसा नहीं था। एक अलग किस्म की श्रेष्ठता (नकली) कश्मीरियों के जेहन में भरी हुई थी। इस पूरे इलाके में भारत पाकिस्तान के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियन्त्रण रेखा कुछ यूँ है कि वाकई समझना मुश्किल है कि कौनसा हिस्सा पाकिस्तान में है और कौन्सा भारत में। नदियों और पहाड़ों के ऊंचे नीचे ना जाने कैसे निर्धारण होता है सीमाओं का। पर वाकई सलाम है उन फौज़ी भाईयों को जो एक हाथ से सीमा पार के घुसपैठियों से लड़ते हैं और दूसरी तरफ भीतर वाले गद्दारों से।
हालांकि सारी जनता ऐसी नहीं थी लेकिन 3-4 अय्याश किस्म के राजनीतिक परिवारों ने पूरे कश्मीर को जकड़ रखा था अपनी धर्मान्ध, पाक परस्त और भारत विरोधी सोच में।
फौज के एक बड़े अधिकारी ने तब एक वीडियो दिखाया था जिस में 14-15 साल का किशोर भी आतंकी था। हमारे लिए यह चौंकाने वाली बात थी। भीतर बैठे कुछ गद्दार उन आतंकियों की हर तरह से सेवा करते थे वे उन्हें शरण, ओट, आसरे के साथ अपने ही घरों में “सेक्स सर्विस’ भी मुहैया करवाते थे। साथ में यह वादा भी कि सेना के सामने मरने पर भी जन्नत में सबसे ‘खूबसूरत हूर’ के साथ सबसे खतरनाक आतंकी को मौका मिलेगा। यह सब वो बड़े आराम से कर रहे थे इस धारा 370 की आड़ में मिली अय्याशी के चलते।
और यह जो जमीन-मकान खरीदने की पाबंदी वहां लगी हुई थी अन्य राज्यों के भारतीयों पर मैं समझता हूं सबसे बड़ी बीमारी यही थी। यह इलाका देश के अन्य हिस्सों की तुलना में बेहद पिछड़ा हुआ था। सुन्दर बहुत था पर युवाओं को रोजगार ना था।
अब अगर सरकार ने वहां शान्ति और सुरक्षा स्थापित कर दी तो जल्द ही वहां मारवाड़ी-गुजराती-सिंधी लोग व्यापार करने पहुंचेंगे। यूपी और बिहार से युवा अब उधर भी ज्यादा जायेंगे रोजगार के लिए। सरदारों को भी अब पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में जमीन कम लगने लगी है खेती के लिए तो हो सकता है वो भी जाएं।
यह जो फौज पर पत्थर फेंकते थे आज दुम दबा कर बिलों में बैठे हैं। यह जो आतंकियों के ज़नाज़े (शान से) निकलते थे। अब वो दिन भी आएंगे कि कंधे देने वाले भी ना मिलेंगे ऐसे जनाज़ों को।
इस बात में कोई संदेह नहीं कि करोड़ों भारतीयों को जिस घड़ी का इंतेज़ार था वो घड़ी आ गई। ठीक 15 अगस्त से 10 दिन पहले कश्मीर अब वाकई ‘भारत’ का हो गया है। बधाई देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह व उनकी टीम को जो उन्होने कर दिखाया।