उन्होंने कहा कि यदि हम आंकड़ों के हिसाब से तुलना करें तो एक राष्ट्र के तौर पर देखा जाए तो भारत की स्थिति अच्छी नहीं है। हम आबादी के हिसाब से तो दुनिया में दूसरे स्थान पर हैं, लेकिन कई महत्वपूर्ण पैमानों में हम काफी पीछे हैं। खुशी का इण्डेक्स देखा जाए तो दुनिया के 156 देशों में से भारत 140वें स्थान पर है। यदि जन्म को लेकर बात की जाए तो दुनिया के 80 देशों में से भारत 66वें स्थान पर हैं, जहां वे जन्म लेना चाहेंगे। एयर क्ववालिटी इंडेक्स में 92 देशों में से भारत 84 स्थान पर हैं। डेमोक्रेसी की रैकिंग में 112 में से 65वें स्थान पर हैं। प्रेस स्वतंत्रता का इंडेक्स देखा जाए तो 180 देशों में से भारत 140वें स्थान पर हैं।
उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था का पुनर्निर्माण करना बहुत जरूरी है। जब तक कि न्याय व्यवस्था में सुधार नहीं होगा तब तक देेश समृद्ध नहीं हो सकता। सिर्फ अदालतों की संख्या बढ़ाने या ज्युडिशियल (जजों) की नियुक्तियां करने से कुछ नहीं होगा। यह समय हमें निर्भीक, स्वतंत्रत और न्यायिक व्यवस्था के लिए कार्य करने का है। फिर देश आगे बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि नेशनल डिफेंस एकेडमी की तरह ही नेशनल लॉ स्कूल है जिसमें कक्षा दसवीं के बाद छात्र इस स्कूल से जुड़ सकते हैं। न्यायिक व्यवस्था में भी करियर बनाया जा सकता है।
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