scriptPhotos: NID Gandhinagar एनआईडी विद्यार्थियों ने रोटी, शंख, मुर्झाते फूल से प्रेरित परिधान किए डिजाइन | Patrika News
अहमदाबाद

Photos: NID Gandhinagar एनआईडी विद्यार्थियों ने रोटी, शंख, मुर्झाते फूल से प्रेरित परिधान किए डिजाइन

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5 years ago
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अहमदाबाद. राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) के परिधान डिजाइन (एपेरल डिजाइन) स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों का हुनर गांधीनगर परिसर स्थित डिजाइन गैलरी में लगी 'आर्ट टू वियर' प्रदर्शनी में देखने को मिल रहा है।
विद्यार्थियों ने रोटी, शंख, मुरझाते फूल, विकसित होते पेड़ के तने से प्रेरित होकर हूबहू डिजाइनर वस्त्र (परिधान) तैयार किए हैं। इन्हें विद्यार्थियों ने कांस (केन स्टिक), बांस, धागा (यार्न) कच्चे ऊन (वुल फेल्ट) की मदद से अपने कढाई और बुनाई के कौशल के जरिए तैयार किया है। प्रदर्शनी में 14 विद्यार्थियों के डिजाइन किए वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। जिन्हें विद्यार्थियों ने संस्थान के वरिष्ठ प्राध्यापकों क्रिष्ना पटेल, सोनल चौहान, संदीप संगरू, विवेकानंद येंगलदास, प्रमीला चौधरी, एलिन भट्ट प्रनिधि दीवान के मार्गदर्शन में तैयार किया है।
शंख से प्रेरित होकर उसके अनुरूप परिधान को डिजाइन करने वाले छात्र ओमप्रकाश निराला बताते हंै कि उन्होने पहले सलाईयों को उपयोग किया। विशेष सलाई बनाने को लेकर संतोष न होने पर उन्होंने क्रोशिया के जरिए बुनाई कर परिधान तैयार किया। इसमें कच्चे ऊन का इस्तेमाल किया। उसे क्रोशिया से बुना, जिसके लिए बड़े आकार का लकड़ी का क्रोशिया भी खुद वर्कशॉप में बनाया। तैयार हुआ तो वह स्वेटर जैसा दिख रहा था। जिससे उन्होंने उसे वॉशिंग मशीन में धोया तब जाकर उन्हें सही आकार मिला।
मुर्झाते हुए फूल से प्रेरित रंगीन वस्त्र को अग्रजा पांडे ने डिजाइन किया है। वे बताती हैं कि उन्होंने कच्चे ऊन के अलावा वस्त्र में उभार को लाने के लिए वायर का उपयोग किया है।
इसके अलावा पंचमी राव ने रोटी से प्रेरित वस्त्र बनाए। जबकि अवंकिता लाल ने पेड़ के विकसित होती शाखाओं (तने) से प्रेरित होकर कांस, कच्चे ऊन, बांस और कोटन का उपयोग करके वस्त्र डिजाइन किया। इसके लिए उन्होंने बुनाई पर भी हाथ आजमाया। छात्रा मालविक ने कांस, कच्चे ऊन का उपयोग करके गुथाई के हुनर को आजमाकर वस्त्र डिजाइन किया, जबकि शुभांगी पांडे ने कच्चे ऊन के साथ साबुन के पानी, स्टार्च का उपयोग करने के साथ नीडल की मदद से वस्त्र डिजाइन किया। अनन्या प्रधान ने कांस और कच्चे ऊन के उपयोग से तितली के जन्म के समय की अवस्था से प्रेरित होकर वस्त्र की डिजाइन तैयार की।

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अहमदाबाद. राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) के परिधान डिजाइन (एपेरल डिजाइन) स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों का हुनर गांधीनगर परिसर स्थित डिजाइन गैलरी में लगी 'आर्ट टू वियर' प्रदर्शनी में देखने को मिल रहा है।
विद्यार्थियों ने रोटी, शंख, मुरझाते फूल, विकसित होते पेड़ के तने से प्रेरित होकर हूबहू डिजाइनर वस्त्र (परिधान) तैयार किए हैं। इन्हें विद्यार्थियों ने कांस (केन स्टिक), बांस, धागा (यार्न) कच्चे ऊन (वुल फेल्ट) की मदद से अपने कढाई और बुनाई के कौशल के जरिए तैयार किया है। प्रदर्शनी में 14 विद्यार्थियों के डिजाइन किए वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। जिन्हें विद्यार्थियों ने संस्थान के वरिष्ठ प्राध्यापकों क्रिष्ना पटेल, सोनल चौहान, संदीप संगरू, विवेकानंद येंगलदास, प्रमीला चौधरी, एलिन भट्ट प्रनिधि दीवान के मार्गदर्शन में तैयार किया है।
शंख से प्रेरित होकर उसके अनुरूप परिधान को डिजाइन करने वाले छात्र ओमप्रकाश निराला बताते हंै कि उन्होने पहले सलाईयों को उपयोग किया। विशेष सलाई बनाने को लेकर संतोष न होने पर उन्होंने क्रोशिया के जरिए बुनाई कर परिधान तैयार किया। इसमें कच्चे ऊन का इस्तेमाल किया। उसे क्रोशिया से बुना, जिसके लिए बड़े आकार का लकड़ी का क्रोशिया भी खुद वर्कशॉप में बनाया। तैयार हुआ तो वह स्वेटर जैसा दिख रहा था। जिससे उन्होंने उसे वॉशिंग मशीन में धोया तब जाकर उन्हें सही आकार मिला।
मुर्झाते हुए फूल से प्रेरित रंगीन वस्त्र को अग्रजा पांडे ने डिजाइन किया है। वे बताती हैं कि उन्होंने कच्चे ऊन के अलावा वस्त्र में उभार को लाने के लिए वायर का उपयोग किया है।
इसके अलावा पंचमी राव ने रोटी से प्रेरित वस्त्र बनाए। जबकि अवंकिता लाल ने पेड़ के विकसित होती शाखाओं (तने) से प्रेरित होकर कांस, कच्चे ऊन, बांस और कोटन का उपयोग करके वस्त्र डिजाइन किया। इसके लिए उन्होंने बुनाई पर भी हाथ आजमाया। छात्रा मालविक ने कांस, कच्चे ऊन का उपयोग करके गुथाई के हुनर को आजमाकर वस्त्र डिजाइन किया, जबकि शुभांगी पांडे ने कच्चे ऊन के साथ साबुन के पानी, स्टार्च का उपयोग करने के साथ नीडल की मदद से वस्त्र डिजाइन किया। अनन्या प्रधान ने कांस और कच्चे ऊन के उपयोग से तितली के जन्म के समय की अवस्था से प्रेरित होकर वस्त्र की डिजाइन तैयार की।

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अहमदाबाद. राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) के परिधान डिजाइन (एपेरल डिजाइन) स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों का हुनर गांधीनगर परिसर स्थित डिजाइन गैलरी में लगी 'आर्ट टू वियर' प्रदर्शनी में देखने को मिल रहा है।
विद्यार्थियों ने रोटी, शंख, मुरझाते फूल, विकसित होते पेड़ के तने से प्रेरित होकर हूबहू डिजाइनर वस्त्र (परिधान) तैयार किए हैं। इन्हें विद्यार्थियों ने कांस (केन स्टिक), बांस, धागा (यार्न) कच्चे ऊन (वुल फेल्ट) की मदद से अपने कढाई और बुनाई के कौशल के जरिए तैयार किया है। प्रदर्शनी में 14 विद्यार्थियों के डिजाइन किए वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। जिन्हें विद्यार्थियों ने संस्थान के वरिष्ठ प्राध्यापकों क्रिष्ना पटेल, सोनल चौहान, संदीप संगरू, विवेकानंद येंगलदास, प्रमीला चौधरी, एलिन भट्ट प्रनिधि दीवान के मार्गदर्शन में तैयार किया है।
शंख से प्रेरित होकर उसके अनुरूप परिधान को डिजाइन करने वाले छात्र ओमप्रकाश निराला बताते हंै कि उन्होने पहले सलाईयों को उपयोग किया। विशेष सलाई बनाने को लेकर संतोष न होने पर उन्होंने क्रोशिया के जरिए बुनाई कर परिधान तैयार किया। इसमें कच्चे ऊन का इस्तेमाल किया। उसे क्रोशिया से बुना, जिसके लिए बड़े आकार का लकड़ी का क्रोशिया भी खुद वर्कशॉप में बनाया। तैयार हुआ तो वह स्वेटर जैसा दिख रहा था। जिससे उन्होंने उसे वॉशिंग मशीन में धोया तब जाकर उन्हें सही आकार मिला।
मुर्झाते हुए फूल से प्रेरित रंगीन वस्त्र को अग्रजा पांडे ने डिजाइन किया है। वे बताती हैं कि उन्होंने कच्चे ऊन के अलावा वस्त्र में उभार को लाने के लिए वायर का उपयोग किया है।
इसके अलावा पंचमी राव ने रोटी से प्रेरित वस्त्र बनाए। जबकि अवंकिता लाल ने पेड़ के विकसित होती शाखाओं (तने) से प्रेरित होकर कांस, कच्चे ऊन, बांस और कोटन का उपयोग करके वस्त्र डिजाइन किया। इसके लिए उन्होंने बुनाई पर भी हाथ आजमाया। छात्रा मालविक ने कांस, कच्चे ऊन का उपयोग करके गुथाई के हुनर को आजमाकर वस्त्र डिजाइन किया, जबकि शुभांगी पांडे ने कच्चे ऊन के साथ साबुन के पानी, स्टार्च का उपयोग करने के साथ नीडल की मदद से वस्त्र डिजाइन किया। अनन्या प्रधान ने कांस और कच्चे ऊन के उपयोग से तितली के जन्म के समय की अवस्था से प्रेरित होकर वस्त्र की डिजाइन तैयार की।

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अहमदाबाद. राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) के परिधान डिजाइन (एपेरल डिजाइन) स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों का हुनर गांधीनगर परिसर स्थित डिजाइन गैलरी में लगी 'आर्ट टू वियर' प्रदर्शनी में देखने को मिल रहा है।
विद्यार्थियों ने रोटी, शंख, मुरझाते फूल, विकसित होते पेड़ के तने से प्रेरित होकर हूबहू डिजाइनर वस्त्र (परिधान) तैयार किए हैं। इन्हें विद्यार्थियों ने कांस (केन स्टिक), बांस, धागा (यार्न) कच्चे ऊन (वुल फेल्ट) की मदद से अपने कढाई और बुनाई के कौशल के जरिए तैयार किया है। प्रदर्शनी में 14 विद्यार्थियों के डिजाइन किए वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। जिन्हें विद्यार्थियों ने संस्थान के वरिष्ठ प्राध्यापकों क्रिष्ना पटेल, सोनल चौहान, संदीप संगरू, विवेकानंद येंगलदास, प्रमीला चौधरी, एलिन भट्ट प्रनिधि दीवान के मार्गदर्शन में तैयार किया है।
शंख से प्रेरित होकर उसके अनुरूप परिधान को डिजाइन करने वाले छात्र ओमप्रकाश निराला बताते हंै कि उन्होने पहले सलाईयों को उपयोग किया। विशेष सलाई बनाने को लेकर संतोष न होने पर उन्होंने क्रोशिया के जरिए बुनाई कर परिधान तैयार किया। इसमें कच्चे ऊन का इस्तेमाल किया। उसे क्रोशिया से बुना, जिसके लिए बड़े आकार का लकड़ी का क्रोशिया भी खुद वर्कशॉप में बनाया। तैयार हुआ तो वह स्वेटर जैसा दिख रहा था। जिससे उन्होंने उसे वॉशिंग मशीन में धोया तब जाकर उन्हें सही आकार मिला।
मुर्झाते हुए फूल से प्रेरित रंगीन वस्त्र को अग्रजा पांडे ने डिजाइन किया है। वे बताती हैं कि उन्होंने कच्चे ऊन के अलावा वस्त्र में उभार को लाने के लिए वायर का उपयोग किया है।
इसके अलावा पंचमी राव ने रोटी से प्रेरित वस्त्र बनाए। जबकि अवंकिता लाल ने पेड़ के विकसित होती शाखाओं (तने) से प्रेरित होकर कांस, कच्चे ऊन, बांस और कोटन का उपयोग करके वस्त्र डिजाइन किया। इसके लिए उन्होंने बुनाई पर भी हाथ आजमाया। छात्रा मालविक ने कांस, कच्चे ऊन का उपयोग करके गुथाई के हुनर को आजमाकर वस्त्र डिजाइन किया, जबकि शुभांगी पांडे ने कच्चे ऊन के साथ साबुन के पानी, स्टार्च का उपयोग करने के साथ नीडल की मदद से वस्त्र डिजाइन किया। अनन्या प्रधान ने कांस और कच्चे ऊन के उपयोग से तितली के जन्म के समय की अवस्था से प्रेरित होकर वस्त्र की डिजाइन तैयार की।

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अहमदाबाद. राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) के परिधान डिजाइन (एपेरल डिजाइन) स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों का हुनर गांधीनगर परिसर स्थित डिजाइन गैलरी में लगी 'आर्ट टू वियर' प्रदर्शनी में देखने को मिल रहा है।
विद्यार्थियों ने रोटी, शंख, मुरझाते फूल, विकसित होते पेड़ के तने से प्रेरित होकर हूबहू डिजाइनर वस्त्र (परिधान) तैयार किए हैं। इन्हें विद्यार्थियों ने कांस (केन स्टिक), बांस, धागा (यार्न) कच्चे ऊन (वुल फेल्ट) की मदद से अपने कढाई और बुनाई के कौशल के जरिए तैयार किया है। प्रदर्शनी में 14 विद्यार्थियों के डिजाइन किए वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। जिन्हें विद्यार्थियों ने संस्थान के वरिष्ठ प्राध्यापकों क्रिष्ना पटेल, सोनल चौहान, संदीप संगरू, विवेकानंद येंगलदास, प्रमीला चौधरी, एलिन भट्ट प्रनिधि दीवान के मार्गदर्शन में तैयार किया है।
शंख से प्रेरित होकर उसके अनुरूप परिधान को डिजाइन करने वाले छात्र ओमप्रकाश निराला बताते हंै कि उन्होने पहले सलाईयों को उपयोग किया। विशेष सलाई बनाने को लेकर संतोष न होने पर उन्होंने क्रोशिया के जरिए बुनाई कर परिधान तैयार किया। इसमें कच्चे ऊन का इस्तेमाल किया। उसे क्रोशिया से बुना, जिसके लिए बड़े आकार का लकड़ी का क्रोशिया भी खुद वर्कशॉप में बनाया। तैयार हुआ तो वह स्वेटर जैसा दिख रहा था। जिससे उन्होंने उसे वॉशिंग मशीन में धोया तब जाकर उन्हें सही आकार मिला।
मुर्झाते हुए फूल से प्रेरित रंगीन वस्त्र को अग्रजा पांडे ने डिजाइन किया है। वे बताती हैं कि उन्होंने कच्चे ऊन के अलावा वस्त्र में उभार को लाने के लिए वायर का उपयोग किया है।
इसके अलावा पंचमी राव ने रोटी से प्रेरित वस्त्र बनाए। जबकि अवंकिता लाल ने पेड़ के विकसित होती शाखाओं (तने) से प्रेरित होकर कांस, कच्चे ऊन, बांस और कोटन का उपयोग करके वस्त्र डिजाइन किया। इसके लिए उन्होंने बुनाई पर भी हाथ आजमाया। छात्रा मालविक ने कांस, कच्चे ऊन का उपयोग करके गुथाई के हुनर को आजमाकर वस्त्र डिजाइन किया, जबकि शुभांगी पांडे ने कच्चे ऊन के साथ साबुन के पानी, स्टार्च का उपयोग करने के साथ नीडल की मदद से वस्त्र डिजाइन किया। अनन्या प्रधान ने कांस और कच्चे ऊन के उपयोग से तितली के जन्म के समय की अवस्था से प्रेरित होकर वस्त्र की डिजाइन तैयार की।

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अहमदाबाद. राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) के परिधान डिजाइन (एपेरल डिजाइन) स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों का हुनर गांधीनगर परिसर स्थित डिजाइन गैलरी में लगी 'आर्ट टू वियर' प्रदर्शनी में देखने को मिल रहा है।
विद्यार्थियों ने रोटी, शंख, मुरझाते फूल, विकसित होते पेड़ के तने से प्रेरित होकर हूबहू डिजाइनर वस्त्र (परिधान) तैयार किए हैं। इन्हें विद्यार्थियों ने कांस (केन स्टिक), बांस, धागा (यार्न) कच्चे ऊन (वुल फेल्ट) की मदद से अपने कढाई और बुनाई के कौशल के जरिए तैयार किया है। प्रदर्शनी में 14 विद्यार्थियों के डिजाइन किए वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। जिन्हें विद्यार्थियों ने संस्थान के वरिष्ठ प्राध्यापकों क्रिष्ना पटेल, सोनल चौहान, संदीप संगरू, विवेकानंद येंगलदास, प्रमीला चौधरी, एलिन भट्ट प्रनिधि दीवान के मार्गदर्शन में तैयार किया है।
शंख से प्रेरित होकर उसके अनुरूप परिधान को डिजाइन करने वाले छात्र ओमप्रकाश निराला बताते हंै कि उन्होने पहले सलाईयों को उपयोग किया। विशेष सलाई बनाने को लेकर संतोष न होने पर उन्होंने क्रोशिया के जरिए बुनाई कर परिधान तैयार किया। इसमें कच्चे ऊन का इस्तेमाल किया। उसे क्रोशिया से बुना, जिसके लिए बड़े आकार का लकड़ी का क्रोशिया भी खुद वर्कशॉप में बनाया। तैयार हुआ तो वह स्वेटर जैसा दिख रहा था। जिससे उन्होंने उसे वॉशिंग मशीन में धोया तब जाकर उन्हें सही आकार मिला।
मुर्झाते हुए फूल से प्रेरित रंगीन वस्त्र को अग्रजा पांडे ने डिजाइन किया है। वे बताती हैं कि उन्होंने कच्चे ऊन के अलावा वस्त्र में उभार को लाने के लिए वायर का उपयोग किया है।
इसके अलावा पंचमी राव ने रोटी से प्रेरित वस्त्र बनाए। जबकि अवंकिता लाल ने पेड़ के विकसित होती शाखाओं (तने) से प्रेरित होकर कांस, कच्चे ऊन, बांस और कोटन का उपयोग करके वस्त्र डिजाइन किया। इसके लिए उन्होंने बुनाई पर भी हाथ आजमाया। छात्रा मालविक ने कांस, कच्चे ऊन का उपयोग करके गुथाई के हुनर को आजमाकर वस्त्र डिजाइन किया, जबकि शुभांगी पांडे ने कच्चे ऊन के साथ साबुन के पानी, स्टार्च का उपयोग करने के साथ नीडल की मदद से वस्त्र डिजाइन किया। अनन्या प्रधान ने कांस और कच्चे ऊन के उपयोग से तितली के जन्म के समय की अवस्था से प्रेरित होकर वस्त्र की डिजाइन तैयार की।

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अहमदाबाद. राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) के परिधान डिजाइन (एपेरल डिजाइन) स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों का हुनर गांधीनगर परिसर स्थित डिजाइन गैलरी में लगी 'आर्ट टू वियर' प्रदर्शनी में देखने को मिल रहा है।
विद्यार्थियों ने रोटी, शंख, मुरझाते फूल, विकसित होते पेड़ के तने से प्रेरित होकर हूबहू डिजाइनर वस्त्र (परिधान) तैयार किए हैं। इन्हें विद्यार्थियों ने कांस (केन स्टिक), बांस, धागा (यार्न) कच्चे ऊन (वुल फेल्ट) की मदद से अपने कढाई और बुनाई के कौशल के जरिए तैयार किया है। प्रदर्शनी में 14 विद्यार्थियों के डिजाइन किए वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। जिन्हें विद्यार्थियों ने संस्थान के वरिष्ठ प्राध्यापकों क्रिष्ना पटेल, सोनल चौहान, संदीप संगरू, विवेकानंद येंगलदास, प्रमीला चौधरी, एलिन भट्ट प्रनिधि दीवान के मार्गदर्शन में तैयार किया है।
शंख से प्रेरित होकर उसके अनुरूप परिधान को डिजाइन करने वाले छात्र ओमप्रकाश निराला बताते हंै कि उन्होने पहले सलाईयों को उपयोग किया। विशेष सलाई बनाने को लेकर संतोष न होने पर उन्होंने क्रोशिया के जरिए बुनाई कर परिधान तैयार किया। इसमें कच्चे ऊन का इस्तेमाल किया। उसे क्रोशिया से बुना, जिसके लिए बड़े आकार का लकड़ी का क्रोशिया भी खुद वर्कशॉप में बनाया। तैयार हुआ तो वह स्वेटर जैसा दिख रहा था। जिससे उन्होंने उसे वॉशिंग मशीन में धोया तब जाकर उन्हें सही आकार मिला।
मुर्झाते हुए फूल से प्रेरित रंगीन वस्त्र को अग्रजा पांडे ने डिजाइन किया है। वे बताती हैं कि उन्होंने कच्चे ऊन के अलावा वस्त्र में उभार को लाने के लिए वायर का उपयोग किया है।
इसके अलावा पंचमी राव ने रोटी से प्रेरित वस्त्र बनाए। जबकि अवंकिता लाल ने पेड़ के विकसित होती शाखाओं (तने) से प्रेरित होकर कांस, कच्चे ऊन, बांस और कोटन का उपयोग करके वस्त्र डिजाइन किया। इसके लिए उन्होंने बुनाई पर भी हाथ आजमाया। छात्रा मालविक ने कांस, कच्चे ऊन का उपयोग करके गुथाई के हुनर को आजमाकर वस्त्र डिजाइन किया, जबकि शुभांगी पांडे ने कच्चे ऊन के साथ साबुन के पानी, स्टार्च का उपयोग करने के साथ नीडल की मदद से वस्त्र डिजाइन किया। अनन्या प्रधान ने कांस और कच्चे ऊन के उपयोग से तितली के जन्म के समय की अवस्था से प्रेरित होकर वस्त्र की डिजाइन तैयार की।

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अहमदाबाद. राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) के परिधान डिजाइन (एपेरल डिजाइन) स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों का हुनर गांधीनगर परिसर स्थित डिजाइन गैलरी में लगी 'आर्ट टू वियर' प्रदर्शनी में देखने को मिल रहा है।
विद्यार्थियों ने रोटी, शंख, मुरझाते फूल, विकसित होते पेड़ के तने से प्रेरित होकर हूबहू डिजाइनर वस्त्र (परिधान) तैयार किए हैं। इन्हें विद्यार्थियों ने कांस (केन स्टिक), बांस, धागा (यार्न) कच्चे ऊन (वुल फेल्ट) की मदद से अपने कढाई और बुनाई के कौशल के जरिए तैयार किया है। प्रदर्शनी में 14 विद्यार्थियों के डिजाइन किए वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। जिन्हें विद्यार्थियों ने संस्थान के वरिष्ठ प्राध्यापकों क्रिष्ना पटेल, सोनल चौहान, संदीप संगरू, विवेकानंद येंगलदास, प्रमीला चौधरी, एलिन भट्ट प्रनिधि दीवान के मार्गदर्शन में तैयार किया है।
शंख से प्रेरित होकर उसके अनुरूप परिधान को डिजाइन करने वाले छात्र ओमप्रकाश निराला बताते हंै कि उन्होने पहले सलाईयों को उपयोग किया। विशेष सलाई बनाने को लेकर संतोष न होने पर उन्होंने क्रोशिया के जरिए बुनाई कर परिधान तैयार किया। इसमें कच्चे ऊन का इस्तेमाल किया। उसे क्रोशिया से बुना, जिसके लिए बड़े आकार का लकड़ी का क्रोशिया भी खुद वर्कशॉप में बनाया। तैयार हुआ तो वह स्वेटर जैसा दिख रहा था। जिससे उन्होंने उसे वॉशिंग मशीन में धोया तब जाकर उन्हें सही आकार मिला।
मुर्झाते हुए फूल से प्रेरित रंगीन वस्त्र को अग्रजा पांडे ने डिजाइन किया है। वे बताती हैं कि उन्होंने कच्चे ऊन के अलावा वस्त्र में उभार को लाने के लिए वायर का उपयोग किया है।
इसके अलावा पंचमी राव ने रोटी से प्रेरित वस्त्र बनाए। जबकि अवंकिता लाल ने पेड़ के विकसित होती शाखाओं (तने) से प्रेरित होकर कांस, कच्चे ऊन, बांस और कोटन का उपयोग करके वस्त्र डिजाइन किया। इसके लिए उन्होंने बुनाई पर भी हाथ आजमाया। छात्रा मालविक ने कांस, कच्चे ऊन का उपयोग करके गुथाई के हुनर को आजमाकर वस्त्र डिजाइन किया, जबकि शुभांगी पांडे ने कच्चे ऊन के साथ साबुन के पानी, स्टार्च का उपयोग करने के साथ नीडल की मदद से वस्त्र डिजाइन किया। अनन्या प्रधान ने कांस और कच्चे ऊन के उपयोग से तितली के जन्म के समय की अवस्था से प्रेरित होकर वस्त्र की डिजाइन तैयार की।

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