गुरुवार को हुई जीयू के सिंडीकेट की बैठक में इस बाबत एक प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया है। यूनिवर्सिटी के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जीयू में हनुमान मंदिर के स्थल को बदलने के दौरान भी काफी विवाद हुआ था। इसके बाद विवि प्रशासन को नई जगह पर बेहतर मंदिर बनाना पड़ा। यह विवाद थमा ही था कि इस बीच यूनिवर्सिटी परिसर में चल रहे रोड के निर्माण कार्य करने वाले श्रमिकों की ओर से साइंस भवन के समीप एक छोटा सा मंदिर बना दिया गया था। इसका पता चलने पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उसे हटवाया।
ऐसी घटना दोबारा ना बने इसे देखते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सिंडीकेट की बैठक में प्रस्ताव पारित किया है कि अब से यूनिवर्सिटी परिसर में कोई भी नया मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल नहीं बनेगा। यदि कोई धार्मिक स्थल बनाता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
इसके पीछे यूनिवर्सिटी प्रशासन की दलील है कि यूनिवर्सिटी में सभी धर्म, संप्रदाय के लोग पढऩे के लिए आते हैं। परिसर में धार्मिक स्थलों की संख्या बढऩा इस इस लिहाज से भी ठीक नहीं है। क्योंकि एक संप्रदाय का धार्मिक स्थल बनेगा तो अन्य संप्रदाय व समाज के लोग भी आगे चलकर अपने धर्म का स्थल बनाने की मांग कर सकते हैं।
ऐसे विवाद से बचने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यह निर्णय किया है। ताकि यूनिवर्सिटी को ऐसे गैर वाजिब विवादों से बचाया जा सके। इसकी जगह यूनिवर्सिटी प्रशासन शिक्षा,अनुसंधान की गुणवत्ता को सुधारने में अपनी शक्ति लगा सके। गुरुवार को हुई जीयू के सिंडीकेट की बैठक में इस बाबत एक प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया है।