अहमदाबाद

स्कूली विद्यार्थी ही नहीं, शिक्षकों को भी नहीं आता ‘घटाना’

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के अध्यक्ष ए.संतोष मैथ्यू ने कहा कि देश में आज शिक्षकों की शिक्षा का संकट है। असर-रिपोर्ट २०१६ बताती है कि दे

अहमदाबादAug 24, 2017 / 10:38 pm

मुकेश शर्मा

Not only school students, teachers also do not ‘subtract

अहमदाबाद।राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के अध्यक्ष ए.संतोष मैथ्यू ने कहा कि देश में आज शिक्षकों की शिक्षा का संकट है। असर-रिपोर्ट २०१६ बताती है कि देश में कक्षा तीन के ७२ फीसदी बच्चे को २० में से १० घटना नहीं आता है। आठवीं के ५७ फीसदी बच्चे तीन अंकों की संख्या का एक अंक से गुणा नहीं कर पाते हंै। हैरानी की बात तो यह है कि इन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी घटना और भाग देना नहीं आता है। वह बुधवार को अहमाबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन (एएमए) में आयोजित रमण पटेल-एएमए-सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन एजूकेशन लेक्चर व श्रेष्ठ शिक्षक अवार्ड-२०१६ समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) के आंकड़े बताते हैं कि शिक्षक बनने की हर डिग्री बीए,बीएड, एमएड रखने वाले ८७ प्रतिशत युवाओं के पास हकीकत में ‘शिक्षक बनने की योग्यता’ ही नहीं है। क्योंकि हर साल सीटेट देने वाले आठ से नौ लाख में से केवल ११-१३ प्रतिशत ही युवा पास हो रहे हैं।

यह स्थिति हमारी मौजूदा स्कूली और शिक्षक-शिक्षा पद्धति को दर्शाती है। जो भावी भारत के निर्माण के सपने को पूरा करने में सक्षम नहीं है। सिस्टम में इतनी गड़बडी है कि बीते चार-पांच सालों में करीब आठ से नौ हजार बीएड कॉलेजों को मंजूरी दे दी, जिससे मांग और आपूर्ति का अनुपात ही गड़बड़ा गया है। हालत यह है कि बीएड कॉलेज लोगों को डिग्री नहीं लुभावने ऑफर दे रहे हैं। कोई कहता है हमारे यहां प्रवेश लो इंटरनल एसेसमेंट (आंतरिक मूल्यांकन) में १०० प्रतिशत राहत मिलेगी, कोई कहता है ढाई से तीन लाख दो तो कॉलेज भी आने की जरूरत नहीं है। उपस्थिति से लेकर, इंटरनल एसेसमेंट और यहां तक कि डिग्री भी वह खुद ही दे देंगे।

ये स्थिति हमारी शिक्षा पद्धति के लिए कैंसर के समान है। ऐसा कैंसर जिसका पता तभी चलेगा जब वह दूसरे स्टेज पर पहुंच जाएगा। इसलिए हमें इस पर गंभीरता से सोचने और काम करने की जरूरत है। हमें शिक्षक शिक्षा पद्धति में हमें इसमें आमूल-चूल परिवर्तन करने की जरूरत है। जिसकी शुरुआत भी एनसीटीई ने सुप्रीमकोर्ट की ओर से गठित जस्टिस जे.एस.वर्मा कमेटी की सिफारिशों को मद्देनजर रखते हुए ‘बीएड कॉलेज एक्रिडिटेशन एंड रैंकिंग’ का नया फ्रेमवर्क बनाते हुए इसकी शुरूआत कर दी है। इसके तहत बीएड कॉलेज मैनेजमेंट, फैकल्टी, स्टूडेंट सभी से रूबरू बातचीत करके सुझाव मागे जा रहे हैं। अब तक ३२ हजार सुझाव मिले हैं।

एक साल में नया फ्रेमवर्क, हर कॉलेज, शिक्षक को मिलेगी रैंक

मैथ्यू ने कहा कि आगामी एक साल में बीएड कॉलेज के एक्रिडिटेशन और रैकिंग का नया फ्रेमवर्क अमल में आ जाएगा। इसमें हर शिक्षक और कॉलेज को रैंक दी जाएगी। जिसे वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाएगा।

बीएड कॉलेजों को वार्षिक मंजूरी लेनी होगी। हर साल उसे मंजूरी देने व उसका एक्रिडिटेशन करने में फिजीकल एसेट (ढांचागत सुविधाओं) को सिर्फ १० प्रतिशत ही तवज्जो दी जाएगी। अकादमिक सुविधाओं को २० प्रतिशत, शिक्षकों की बढ़ाने की गुणवत्ता को ३० प्रतिशत और कॉलेज के स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता को ४० प्रतिशत तवज्जो दिया जाएगा।

क्लास की होगी वीडियोग्राफी, उसी से होगा मूल्यांकन

रैंकिंग देने व एक्रिडिटेशन देने में परिषद की टीमें कॉलेज न जाकर कॉलेज के फोटोग्राफ डिजिटल फोर्मेट में अपलोड कराए जाएंगे। कॉलेज में शिक्षकों की ओर किस प्रकार से पढ़ाया जा रहा है। पूरे लेक्चर की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी, इसका मूल्यांकन केन्द्रीय स्तर पर विषय विशेषज्ञों की समिति करेगी। वही कॉलेज, शिक्षक को रैंकिंग देगी। ऐसा होने से क्लास में पढ़ाने की प्रवृत्ति में गंभीरता आएगी। बच्चों के सीखने में भी गंभीरता आएगी।

जनता समझे, उठाए आवाज

मैथ्यू ने कहा कि इस कैंसर का भी इलाज अभी संभव है। इसके लिए जनता को चुनावों में खड़े रहने वाले प्रत्याशियों को यह समझाना होगा कि वह तभी मत देंगे जब वह स्कूलों के साथ शिक्षकों की शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने, सुधारने के लिए काम करने का वचन दें। जिन कॉलेजों में अवैध रूप से पैसे लेकर डिग्री दी जा रही है। ऐसे कॉलेजों की जानकारी मीडिया में देकर उसे सबके सामने लाएं। उसका फोटो, वीडियो बनाकर सार्वजनिक करके उन्हें बेनकाब करो। अदालतों में जनहित याचिका दायर करके भी यह मांग की जा सकती है कि उन्हें बेहतर शिक्षक चाहिए। जब शिक्षकों को बेहतर व सही शिक्षा मिलेगी तभी वह बच्चों को बेहतर और सही शिक्षा दे पाएंगे। स्कूली शिक्षा का मूल भी तभी सुधरेगा।

शिक्षक-प्राचार्य साथ, मैनजेमेंट खिलाफ

मैथ्यू ने कहा कि उन्होंने शिक्षक शिक्षा में सुधार की शुरूआत की तो उन्हें शिक्षकों, प्राचार्यों का साथ मिल रहा है। लेकिन बीएड कॉलेज का मैनेजमेंट उनके खिलाफ है।

 

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