अहमदाबाद

अब इमरजेंसी सेवा108 का मोबाइल एप्लीकेशन

मछुआरों के लिए बोट एम्बुलेंस और 10 नई एम्बुलेंस

अहमदाबादMay 23, 2018 / 10:41 pm

Pushpendra Rajput

अब इमरजेंसी सेवा108 का मोबाइल एप्लीकेशन

अहमदाबाद. ऐसे लोग जिनको मेडिकल ट्रीटमेन्ट की जरूरत होती है उनके लिए एक-एक मिनट की अहमियत होती है। यदि ऐसे लोगों को समय पर इलाज मिल जाए तो उनकी जिन्दगी को बचाया जा सकता है। यूं तो गुजरातभर में इमरजेंसी सेवा 108 एम्बुलेंस मेडिकल ट्रीटमेन्ट के जरूरतमंदों को अस्पताल पहुंचाती है, लेकिन अब 108 मोबाइल एप्लीकेशन बनाकर इमरजेंसी सेवा को और बेहतर बनाने की दिशा में कदम है। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बुधवार को कठवाडा स्थित गुजरात 108 इमरजेंसी रिस्पोंस सेंटर में यह मोबाइल एप्लीकेशन लांच किया। उन्होंने राज्य के हर व्यक्ति से अनुरोध किया कि 108 एम्बुलेंस एप्लीकेशन डाउनलोड कर लें ताकि आपातकाल में जरूरतमंदों के लिए उपयोगी हो सके। उन्होंने मछुआरों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए दो बोट एम्बुलेंस सेवा का भी प्रारंभ कराया। साथ ही 108 एम्बुलेंस के बेड़े में 10 और नई एम्बुलेंस जोड़ी गई।
मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने 108 मोबाइल एप्लीकेशन लांचिंग के बाद कहा कि यह नया आयाम ‘प्लेटिनम अवरÓ में मानव जिन्दगी बचाने में सक्षम पर्याय बनेगा। मोबाइल एप में पांच मॉड्युल हैं, जो एकीकृत हैं। चाहे हादसा हो या आपातकाल ऐसे समय में बातचीत और पेपर वर्क करने या फिर अस्पताल तलाशने में काफी वक्त बिगड़ता है, लेकिन इसके जरिए काफी आसानी हो जाएगी। राज्य के चार हजार अस्पतालों को इस एप्लीकेशन में जोड़ा गया है। ऐसे में घटना के निकट चाहे निजी हो या सरकारी अस्पताल हो वहां तुरंत उपचार हो सके । साथ ही ब्लड बैंक को सूचि भी उपलब्ध है ताकि उपचार समय उचित निर्णय किया सके। उन्होंने कहा कि राज्य में हादसों में हर वर्ष सात से आठ हजार लोगों की मौत होती है। इस आंकड़े को घटाने के लिए 108 इमरजेंसी सेवा में तकनीक का इस्तेमाल कर नए आयाम जोड़े गए हैं।
इस मौके पर उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि राज्य सरकार ने हादसे के 48 घंटों के भीतर 50 हजार रुपए तक इलाज का खर्च वहन करने की योजना लागू की है। ‘गोल्डन अवरÓ में यह स्कीम लोगों के लिए काफी उपयोग होगी। उन्होंने कहा कि यह इमरजेंसी सेवा 50 एम्बुलेंस से शुरू की गई थी, जो अब 585 पहुंच गई है। अब तक ८७ लाख से ज्यादा लोगों को नि:शुल्क अस्पताल तक पहुंचाया गया है। समारोह में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पूनमचंद परमार और स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव व स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. जयंति रवि ने इस इमरजेंसी सेवा की अहमियत बताई। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में 108 इमरजेंसी बेड़े में 585 एम्बुलेंस हैं, जिसमें इस र्व 125 नई एम्बुलेंस जोड़ी जाएंगी।

गुजरात का 1600 किलोमीटर लम्बा समुद्री किनारा है, जिसमें 1.40 लाख से ज्यादा मछुआरे 35 हजार नौकाओं के साथ समुद्र में मछली पकडऩे जाते हैं आठ से दस दिनों तक समुद्र में रहते हैं। ऐसे में यदि कोई भी इमरजेंसी होती है तो उनको चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए बोट एम्बुलेंस शुरू की गई। इस बोट में एक कैप्टन, 3 सहायक कर्मचारी और एक प्रशिक्षित इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन सहित पांच लोगों की टीम 24 घंटे तैनात रहेगी।
मोबाइल एप के यह हैं फायदे
– जो भी व्यक्ति कॉल करेगा उसका सही पता इमरजेंसी रिस्पोंस सेन्टर को तुरंत ही गुगल नक्शा से मिल जाएगा। इसके जरिए टेलीफोन ऑपरेटर को घटनास्थल या अन्य जानकारी हासिल करने में समय बचेगा।
– कॉल करने वाला व्यक्ति घटना स्थल पर आने वाली एम्बुलेंस के पहुंचने की समय और कहां पहुंची उसका भी सही समय जान सकेगा।
– कॉल करने वाला व्यक्ति घटनास्थल के नजदीकी सरकारी या निजी अस्पताल और ब्लड बैंक की जानकारी हासिल कर सकेगा। इसके जरिए नजदीकी अस्पताल में मरीज या घायल व्यक्ति को ले जाने का सही निर्णय किया जा सकेगा।
– मरीज जिस अस्पताल में भर्ती होगा उस अस्पताल की जानकारी एप्लीकेशन के जरिए मरीज के परिजन तक पहुंच जाएगी। इसके जरिए अस्पताल का पता लिखने या उससे तलाशने में समय बचेगा।

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