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आन्दोलन पर चर्चा की मांग पर विपक्ष का हंगामा

locationअहमदाबादPublished: Aug 27, 2015 11:31:00 pm

गुजरात विधानसभा
में विपक्ष ने प्रदेश में आरक्षण आन्दोलन के दौरान हिंसक घटनाओं से उत्पन्न हालातों
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गांधीनगर।गुजरात विधानसभा में विपक्ष ने प्रदेश में आरक्षण आन्दोलन के दौरान हिंसक घटनाओं से उत्पन्न हालातों पर चर्चा की मांग लेकर गुरूवार को जमकर हंगामा किया। इससे प्रश्नोत्तर काल रदद् करना पड़ा। सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित रखी गई।


उसके बाद भी माहौल शांत न होने पर अध्यक्ष गणपत वसावा ने सिर्फ विपक्ष के नेता शंकर सिंह वाघेला को छोड़कर विपक्ष के बाकी सभी सदस्यों को दिन भर के लिए सदन से निलंबित कर दिया। निलंबित किए गए सदस्यों को सदन से बाहर निकालने भी मार्शलों को भारी मशक्कत करनी पड़ी।


13वीं गुजरात विधानसभा के सातवें सत्र में दूसरे दिन भी सदन की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे के साथ शुरू हुई। गुरूवार अपरान्± 12 बजे शुरू हुए सदन के निर्धारित कामकाज के एजेण्डा में शुरूआत में जामनगर से कांग्रेस विधायक राघवजी पटेल का संक्षिप्त अवधि का प्रश्न शामिल किया गया था, जिसमें उन्होंने अहमदाबाद एवं राजकोट शहर में डेंगू मरीजों की संख्या एवं प्रशासन की ओर से डेन्गू की रोकथाम के लिए की गई व्यवस्था से सम्बन्ध जानकारी मांगी थी।


उसके बाद एक घण्टे के प्रश्नकाल में विभिन्न सद्स्यों के प्रश्नों के जबाब प्रस्तुत किए जाने थे। अध्यक्ष वसावा की ओर से सदन की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मिलने पर राघव पटेल ने डेंगू के बजाए आरक्षण आन्दोलन से उत्पन्न स्थिति को लेकर चर्चा शुरू की। इससे अध्यक्ष ने उन्हें रोकते हुए कहा कि प्रश्न डेंगू को लेकर है।


इससे सम्बन्ध सवाल पूछें। इस पर सिर्फ विपक्ष के नेता को छोड़कर विपक्ष के बाकी सभी सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर आन्दोलन के मुद्दे पर चर्चा की मांग लेकर हंगामा शुरू कर दिया, तो अध्यक्ष ने कहा कि प्रश्नोत्तर काल के बाद गृह राज्य मंत्री आन्दोलन मुद्दे पर नियम 44 के अनुसार जानकारी देंगे, लेकिन विपक्ष के सदस्य अध्यक्ष के आश्वासन से सन्तुष्ट नही हुए और शोरगुल मचाते रहे। अध्यक्ष की ओर से बार-बार शांत रहने की अपील से बे-असर विपक्ष के सदस्यों ने हाथों में “आतंकवादी भाजपा सरकार नहीं चलेगी, त्रासवादी भाजपा सरकार नही चलेगी,लाठी गोली की सरकार नही चलेगी, फूट डालने वाली सरकार नही चलेगी..” वाक्य लिखे बैनर एवं नारे लगाकर भारी हंगामा शुरू कर दिया। करीब छह मिनट के हंगामे के बाद प्रश्नोत्तर काल रद्द कर सदन एक घण्टे के लिए स्थगित कर दी गई।


अपरान्± एक बजे फिर से शुरू हुए सदन में विपक्ष के नेता शंकर सिंह वाघेला ने आरक्षण आन्दोलन के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि के लिए शोक प्रस्ताव चर्चा एवं दिन भर के लिए सदन स्थगित करने को लेकर ध्यानाकर्षण मुद्दा प्रस्तुत किया, लेकिन अध्यक्ष ने इसकी भी अनुमति नही दी तो फिर से हंगामा शुरू हुआ। इस बीच मंत्री नितिन पटेल ने शोरगुल के बीच नियम 116 अन्तर्गत राज्य में अतिवृष्टि से सम्बद्ध जानकारी प्रस्तुत की, लेकिन माहौल शांत न होने पर अध्यक्ष ने करीब 20 मिनट के बाद सदन की कार्यवाही आधा घण्टे के लिए फिर से स्थगित कर दी।

सदस्यों को किया निलंबित


अपरान्± लगभग दो बजे फिर से शुरू हुए सदन में विपक्ष के पूर्व नेता शक्ति सिंह गोहिल ने आन्दोलन मुद्दे पर ही ध्यानाकर्षण मुद्दा उठाया, जिसे अस्वीकार कर दिए जाने पर विपक्ष ने सरकार विरोधी नारों के बीच फाइलें उछालना व कागज फाड़कर फेंकना शुरू कर दिया। इससे अध्यक्ष विरोध प्रदर्शन कर रहे सभी सदस्यों को दिन भर के लिए निलंबित करने का आदेश देकर 2 बजकर 10 मिनट पर सदन फिर से 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।

अपरान्± 2.25 बजे चौथी बार शुरू हुए सदन में अध्यक्ष ने निलंबित सदस्यों को बाहर जाने की अपील की लेकिन अनसुनी करके विपक्ष के सदस्य वेल में जाकर बैठ गए। इसी बीच आधा घण्टे के लिए सदन के विराम (रिसेस) की घोषणा की गई, किन्तु विपक्ष के सदस्य बाहर जाने के बजाय वेल में बैठकर रघुपतिराघव राजाराम..की धुन गाने लगे। उसके बाद बाहर गए। विराम बाद तीन बजकर 15 मिनट पर फिर से शुरू हुए सदन में निलंबित सदस्य फिर से अन्दर आ गए, जिन्हें अध्यक्ष ने सम्मान पूर्वक बाहर जाने को कहा, किन्तु वे नहीं माने। उसके बाद गृहरक्षकों को आदेश दिया कि निलंबित सदस्यों को सम्मान सहित बाहर निकाल दें। इस पर परेशधानाणी, कान्ती खराड़ी, हर्षद रिबडिया आदि वेल में जाकर एक दूसरे से लिपट कर लेट गए। इस स्थिति में गृहरक्षकों को लगभग दस मिनट तक भारी मशक्कत करके उन्हें बाहर निकालना पड़ा।

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