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अब ओन्को डिस्कवर से पता लगेगा कैंसर मरीजों के सक्र्युलेटिंग ट्यूमर सेल का

locationअहमदाबादPublished: Aug 08, 2022 03:37:56 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

एक्टोरियस इनोवेशन्स एंड रिचर्स ने की शोध

अब ओन्को डिस्कवर से पता लगेगा कैंसर मरीजों के सक्र्युलेटिंग ट्यूमर सेल का

अब ओन्को डिस्कवर से पता लगेगा कैंसर मरीजों के सक्र्युलेटिंग ट्यूमर सेल का

गांधीनगर. जहां पहले कैंसर मरीजों के रक्त से सक्र्युलेटिंग ट्यूमर सेल का पता लगाने में वक्त लगता था, लेकिन अब ओन्को डिस्कवर से कुछ ही घंटों में इसका पता लगाया जा सकेगा। यही नहीं विदेश के तुलना में ब्लड टेस्ट का दर भी सस्ता है। एक्टोरियस इनोवेशन्स एंड रिसर्च ने इसे विकसित किया है। इस रिसर्च कंपनी का दावा है कि यह भारत की ऐसी पहली और ब्लड टेस्ट की तकनीक है, जिसमें कैंसर मरीजों रक्त में परिभ्रमण करने वाले ट्यूमर सेल का पांच घंटों में पता लग सकेगा। रिसर्च कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं चीफ साइंटीफिक ऑफिसर डॉ. जयंत खंदारे ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि कैंसर के 10 से 30 माइक्रोन के कोष रक्त के जरिए प्राथमिक अंगों से अन्य अंगों में स्थानांतरित होते हैं। इसके चलते कैंसर मरीज के शरीर में फैलता है। शुरुआती दौर में यदि नजरंदाज किया जाता है तो कैंसर के 90 फीसदी मरीजों में यह फैल जाता है।
उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2004 से यह रक्त परीक्षण यूएसए में उपलब्ध है, जो 1.40 लाख रुपए में होता है। यह रक्त परीक्षण महंगा होने भारतीय कैंसर मरीज इसे वहन नहीं कर पाते। भारत में ऐसी शोध विकसित की है, जो न सिर्फ गुणवत्तायुक्त है बल्कि पांच घंटे में सिर्फ 15 हजार रुपए में हो सकती है। यही टेस्ट यदि विदेश से कराया जाए तो 40 घंटे तक का समय लगता है। ओन्को डिस्कवर कैंसर सर्विलांस टेस्ट कैंसर फिर से नहीं हो उसका पता लगाने में मददगार होगा। इसके जरिए राज्य में मृत्यु दर में भी सुधार होगा। इस तकनीक का मकसद कैंसर मरीजों की जिन्दगी बचाना है।
उन्होंने कहा कि यूरोप एवं उत्तर अमरीकी देशों में बेहतर तरीके से कैंसर के मरीजों की जांच और देखरेख होती है। इसके चलते कैंसर मरीजों का दर ज्यादा होने के बावजूद भारत में जहां मृत्युदर साठ फीसदी है वहीं इन देशों में मृत्यु दर 30 फीसदी है। उन्होंने कहा कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से नई मेडिकल डिवाइस नियम के तहत उतपादन और मार्केटिंग की मंजूरी भी मिल गई है। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल-मुंबई के उप निदेशक डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने मूल्यांकन भी किया है और इसे भारत की पहली स्वदेशी मेडिकल डिवाइस बताया ैहै।
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