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१०० में से एक व्यक्ति में पाया जाता है यह रोग

locationअहमदाबादPublished: Nov 17, 2018 10:52:53 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

– भ्रामक मान्यता से रहें दूर, योग्य जानकारी लें, त्वरित उपचार कराएं

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१०० में से एक व्यक्ति में पाया जाता है यह रोग

अहमदाबाद. मिर्गी ऐसा रोग है, जो 100 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति में पाया जाता है। 100 में से चार व्यक्तियों में जिन्दगी में एक बार सामान्य खेंच (मिर्गी) आती है। भारत में करीब एक करोड़ लोगों इस बीमारी के शिकार होंगे। सामान्यत: तौर पर देखा जाए तो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में खामी होने से बिजली की तरंगें बढ़ जाती हैं, जिससे शरीर में कंपन और झटके महसूस होते हैं। , जिसे मिर्गी कहा जाता है। मिर्गी को खेंच, या वाई से भी जाना जाता है। मिर्गी को लेकर कई भ्रामक मान्यताएं होती हैं। सामान्यत: समाज में यह मान्यता होती है कि जिस व्यक्ति को मिर्गी (खेंच) आती है वह जीवनभर उसका शिकार रहेगा, लेकिन ऐसा नहीं है। एक बार मिर्गी आने का मतलब मिर्गी का रोगी नहीं हो सकता। दूसरी भ्रामकता यह है कि जब भी मरीज को मिर्गी आती है तो उसे चप्पल सुंघाई जाती। प्याज सुंघाया जाता है, दांतों के बीच ठोस वस्तु फंसा दी जाती है। इसके बजाय मरीज को समय पर अस्पताल ले पहुंचाना चाहिए। स्टर्लिंग हॉस्पिटल के न्यूरोसाइसेंज विभाग के निदेशक प्रो. डॉ. सुधीर शाह ने राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (एपीलेप्सी) पर स्टर्लिंग हॉस्पिटल की ओर से सेटेलाइट स्थित सद्विचार परिवार ट्रस्ट में शनिवार को आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में यह जानकारी दी।
उन्होने कहा कि जो व्यक्ति मिर्गी का शिकार होता है उससे दुव्र्यवहार करना, शादी नहीं करना, नौकरी नहीं मिलना और भेदभावपूर्ण जैसे बर्ताव होते हैं। यदि बारबार खेंच (मिर्गी) आती है तो उसका उपचार कराकर उसे रोका जा सकता है। बाद में वह व्यक्ति सामान्य जिन्दगी जी सकता है। दुनिया में नेपोलियन, बोना पार्ट, अल्फ्रेड नोबल जैसी कई प्रतिभाएं थी है, जिनमें (एपीलेप्सी) मिर्गी थी, फिर भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। मिर्गी व्यक्तित्व विकास में बाधक नहीं होती।
उन्होंने कहा कि एक बार खेंच (मिर्गी का दौड़ा) पड़े तो उसे मिर्गी नहीं कहा जा सकता है। अत्याधुनिक दवाइयों, नई प्रोसिजर्स और सर्जरी से 80 से 90 फीसदी मरीज फिर से सामान्य जिन्दगी जा सकती है। यूं तो यह घातक नहीं है, लेकिन जब भी खेंच (मिर्गी का दौरा) पड़े यह ध्यान रखना चाहिए वह व्यक्ति गिरे तो चोट नहीं आए। ड्राइविंग करते समय खेंच (मिर्गी) होने पर घातक हो सकती है। इस मौके पर स्टर्लिंग हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉ. मुकेश पटेल, डॉ. दिनेश सैनी, डॉ. शालिनी शाह ने भी एपीलेप्सी (मिर्गी) के बारे में जागरुक किया।
एपीलेप्सी (मिर्गी) में इन बातों का रखें ख्याल
– घबराएं नहीं, शांति रखें, मरीज को आराम से लिटा दें, कपड़े ढीले कर दें।
– आसपास यदि गरम पदार्थ या तीखे पदार्थ हों तो उसे हटा दें, सिर के नीचे तौलिया या तकिया रखें।
– मरीज को पर्याप्त हवा लगे, ऐसे माहौल बनाएं।
– अंगों की हलन-चलन को ना रोकें। बंद दांतों के बीच कुछ भी रखने का प्रयास ना करें।
– मरीज को एक करवट लिटा दें ताकि थूंक या लार आसानी से निकल सके
– मरीज को कोई चोट नहीं पहुंचे उसका ख्याल रखें।
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