उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में पिछले छह माह से ज्यादा समय से स्कूलें बंद हालत में है। ऑनलाइन शिक्षा सामान्य, मध्यम और आर्थिकतौर पर पिछड़े वर्ग वहन नहीं कर सकते। ऐसे में डिजिटल इंडिया अमीर और गरीब के बीच डिजिटल असमानता का कारण नहीं बनना चाहिए। स्कूलें बंद होने से जहां सरकारी और निजी स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। इसके एवज में ज्यादातर स्कूलें फीस वसूल रही हैं। गुजरात, दिल्ली, केरल और बंगाल जैसे राज्यों में तो ऑनलाइन शिक्षा के तनाव में विद्यार्थियों के आत्महत्या करने के किस्से सामने आए हैं।
उन्होंने दावा किया कि गुजरात सरकार (Gujarat government) के शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण में तीन फीसदी विद्यार्थियों के पास लेपटॉप या पर्सनल कम्प्यूटर है। चार फीसदी विद्यार्थी अनलिमिटेड डाटा के साथ स्मार्ट फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।