शहर के वापुर क्षेत्र स्थित दिव्यांगों के लिए काम करने वाली ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन (बीपीए) संस्था के इवेंट मैनेजर एवं इंस्ट्रेक्टर दिनेश बहल ने यह कहा। दिनेश बहल फिलहाल अंगदान के लिए जागरूकता अभियान में जुड़े हुए हैं। कुछ वर्षों पूर्व वे न्यूजीलेंड में एक संस्था में काम करते थे। उस दौरान ड्राइविंग लाइसेंस बनवाते समय उनसे पूछा गया कि क्या वे अंगदान के लिए वे राजी हैं। काफी सोच विचार और समझाने के बाद उन्होंने सहमति जताई थी। इसका मतलब यह था कि यदि आकस्मिक मौत होती है तो बिना किसी के पूछे उनके अंगों को लिया जा सकता है।
अंगदान के संबंध में न्यूजीलेंड में काफी जागरूकता है। भारत की तरह वहां अंगों के लिए बड़ी-बड़ी लाइन भी नहीं हैं। दिनेश को अंगदान की प्रेरणा न्यूजीलेंड में मिली थी और यहां आकर वे अलख जगाने में लगे हैं। न्यूजीलेंड से भारत आने पर वे कई स्वैच्छिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। बीपीए के इवेंट मैनेजर हैं। उनका कहना है कि अब तक अहमदाबाद शहर में लगभग तीन सौ लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित कर चुके हैं। यहां वे आए दिन रैली और स्कूल कॉलेजों में जाकर अंगदान के लिए जागरूक करते हैं। इस कार्य में उनकी पत्नी दीपा बहल भी साथ दे रहीं हैं।
अंगदान के संबंध में न्यूजीलेंड में काफी जागरूकता है। भारत की तरह वहां अंगों के लिए बड़ी-बड़ी लाइन भी नहीं हैं। दिनेश को अंगदान की प्रेरणा न्यूजीलेंड में मिली थी और यहां आकर वे अलख जगाने में लगे हैं। न्यूजीलेंड से भारत आने पर वे कई स्वैच्छिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। बीपीए के इवेंट मैनेजर हैं। उनका कहना है कि अब तक अहमदाबाद शहर में लगभग तीन सौ लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित कर चुके हैं। यहां वे आए दिन रैली और स्कूल कॉलेजों में जाकर अंगदान के लिए जागरूक करते हैं। इस कार्य में उनकी पत्नी दीपा बहल भी साथ दे रहीं हैं।