ब्रेन डेड घोषित मरीज के चार से छह घंटे में हृदय, छह से आठ घंटे में फेफड़े, लीवर और पेंक्रियाज को आठ से दस घंटे में प्रत्यारोपण किया जाना होता है। इसी तरह से किडनी को 24 घंटे, आंखों को छह घंटे में ब्रेन डेड व्यक्ति के शरीर से निकाल कर प्रत्यारोपण करना होता है। कई बार इस समय को बचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर का उपयोग भी करना पड़ता है, जो जरूरी होता है।
——————- सिविल अस्पताल में अब तक 53 अंगों का दान
लगातार परिश्रम कर रही सोटो की टीम के परिणामस्वरूप सिविल अस्पताल में से ही अब तक ब्रेन डेड 15 लोगों के 53 अंग दान में मिल चुके हैं। इनके माध्यम से जरूरतमंद 41 लोगों को नया जीवन मिल सका है। जबकि एक माह में अब तक ब्रेन डेड व्यक्तियों के अंगों को दान में देने की स्वीकृति दी जा चुकी है। पिछले कुछ दिनों से सिविल अस्पताल में ब्रेन डेड मरीजों के अंगदान में वृद्धि हुई है।
डॉ. राकेश जोशी, चिकित्सा अधीक्षक सिविल अस्पताल