उन्होंने कहा कि एक वर्ष पहले ही ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने सभी राज्यों को इंडस्ट्रीयल ऑक्सीजन की तरह ही मरीजों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए चेताया था। कोरोना महामारी में ऑक्सीजन प्लांट्स के लिए नए लाइसेंस की अनुमति देने का आग्रह किया था, लेकिन इसके बावजूद भी कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। ऑक्सीजन की कमी के लिए खाद्य और औषध विभाग ही जिम्मेदार है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी में अस्पतालों में बेड की कमी है। मरीजों का उचित तरीके से उपचार नहीं हो पा रहा। राज्य में पिछले तीन दिनों में ऑक्सीजन के अभाव में 66 लोगों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2020 की संसदीय कमेटी ने सरकार को ऑक्सीजन को लेकर चेताया था।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में हालात यह है कि यदि बेड मिल जाएंगे तो भी अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलेगा। गुजरात चार लाख कोरोना संक्रमण मामलों के साथ देश में तीसरे स्थान पर है। गुजरात में औद्योगिक गैस के 10 प्लांट हैं फिर भी ऑक्सीजन की कमी है।