पहले संगठित हों, फिर श्रम में परिवर्तित करें
पन्नाबेन ने पहले संगठित हों, फिर श्रम में परिवर्तित करें के नारे के साथ श्रम से सफलता मिलने और अन्य महिलाओं को प्रेरित करने के साथ महिला सशक्तिकरण के लिए शुरू किए गए गृह उद्योग से वर्तमान में 30 हजार महिलाएं जुड़ी हैं। सुरेंद्रनगर जिले के गांवों के अलावा अहमदाबाद व मुंबई तक बिक्री के लिए खाखरे, पापड़ और अचार भेजे जा रहे हैं।
जितना काम, उतना पारिश्रमिक वे कहती हैं कि गृह उद्योग में काम करने वाली महिलाओं के लिए समय की पाबंदी नहीं है। जितना काम, उतना पारिश्रमिक चुकाया जाता है। महिलाएं सामान्यतया रोजाना करीब 200-250 रुपए का काम करती हैं। प्रत्येक महिला को हर महीने चिकित्सा खर्च के 500 रुपए चुकाए जाते हैं। हर वर्ष यात्रा भी करवाई जाती है।
व्यवहार में पूर्ण पारदर्शिता, वार्षिक 4 करोड़ का कारोबार उनका कहना है कि गृह उद्योग के व्यवहार में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाती है। संस्था से जुड़े सदस्य मानद ट्रस्टी के तौर पर काम करते हैं। ट्रस्टियों को कोई वस्तु लेनी हो तो राशि का भुगतान कर बिल प्राप्त करते हैं। वर्तमान में वार्षिक 4 करोड़ का कारोबार किया जा रहा है।
व्यावसायिक प्रशिक्षण भी, 625 गांवों में कार्य
गृह उद्योग की ओर से खाद्य प्रसंस्करण के साथ-साथ कंप्यूटर, बेसिक नर्सिंग पाठ्यक्रम, ड्रेस डिजाइनिंग, मोबाइल मरम्मत, आर्ट एंड क्राफ्ट, ब्यूटी पार्लर आदि व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इनके अलावा मुफ्त कानूनी सलाह केंद्र, सखी वन स्टॉप केंद्र भी संचालित किया जा रहा है। गृह उद्योग की ओर से सुरेंद्रनगर जिले की 10 तहसीलों के 625 गांवों में महिलाओं से कार्य करवाया जाता है। सात स्थानों पर महिलाओं की ओर से केंटीन का संचालन किया जा रहा है।