आइए, उन सीटों पर गौर करें जहां पाटीदार बनाम पाटीदार की जंग होने वाली है। राजकोट जिला: 3 सीटें: राजकोट दक्षिण, जेतपुर, धोराजी राजकोट दक्षिण सीट पर खोडलधाम के ट्रस्टी रह चुके व जाने-माने उद्योगपति रमेश टिलाळा भाजपा उम्मीदवार हैं। इसी सीट से कांग्रेस के हितेश वोरा को जबकि आम आदमी पार्टी की ओर से शिवलाल बारसिया उम्मीदवार हैं। ये तीनों पाटीदार समुदाय से हैं।
राजकोट जिले के जेतपुर में भाजपा के जयेश रादडि़य़ा, कांग्रेस के दीपक वेकरिया व आप के रोहित भुवा मैदान में हैं। इसी जिले की धोराजी सीट पर भाजपा के महेन्द्र पाडलिया, कांग्रेस के वर्तमान विधायक ललित वसोया व आप के विपुल साखिया हैं।
मोरबी जिला: 2 सीटें: मोरबी व टंकारा मोरबी सीट से भाजपा के कांति अमृतिया, कांग्रेस के जयंती पटेल व आप के पंकज राणसरिया उम्मीदवार हैं।
टंकारा सीट से भाजपा के दुर्लभजी देथरिया, कांग्रेस के वर्तमान विधायक ललित कथगरा व आप के संजय भटासणा चुनाव मैदान में हैं।
जामनगर-2 सीट: जामनगर दक्षिण, जामजोधपुर जामनगर जिले की जामनगर दक्षिण से भाजपा के दिव्येश अकबरी व कांग्रेस से मनोज कथीरिया व जामजोधपुर सीट से भाजपा के चिमन सापरिया व कांग्रेस के चिराग कालरिया चुनाव मैदान में हैं।
जूनागढ़ जिला: विसावदर भाजपा से हर्षद रिबडिय़ा व कांग्रेस के करसण वडोडरिया तथा आप के भूपत भायाणी उम्मीदवार हैं। रिबडिय़ा ने गत चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी लेकिन कुछ दिनों पहले उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया। इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें यहां से उम्मीदवार बना दिया।
कच्छ जिला: भुज कच्छ जिले का मुख्यालय भुज सीट से भाजपा के केशू पटेल, कांग्रेस के अरजण भुडिया व आप के राजेश पंडोरिया उम्मीदवार हैं। अमरेली जिला: 3 सीटें: अमरेली, सावरकुंडला, लाठी
अमरेली जिले की 3 सीटों पर पाटीदार समुदाय के उम्मीदवार उतारे गए हैं। अमरेली सीट पर कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष परेश धानाणी के सामने भाजपा के कौशिक वेकरिया है वहीं आप के रवि धानाणी हैं।
लाठी सीट से भाजपा के जनक तळाविया, कांग्रेस के वर्तमान विधायक वीरजी ठुमर व आप के जयसुख देत्रोजा उम्मीदवार हैं।
सावरकुंडला से कांग्रेस के मौजूदा विधायक प्रताप दूधात, भाजपा के महेश कसवाला और आप के भरत नाकराणी प्रत्याशी हैं।
भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए अहम पाटीदार फैक्टर पाटीदार फैक्टर भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए अहम है। बीते कई सालों से पाटीदार भाजपा का मजबूत वोटर रहा है। हालांकि पिछली बार पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चलते भाजपा को कई सीटों पर नुकसान जरूर हुआ था लेकिन इस बार वैसा कोई आंदोलन नहीं है। पिछले चुनाव में अलग हुआ पाटीदारों का कुछ वर्ग इस बार फिर से भाजपा की ओर झुकता नजर आ रहा है। इसकी वजह केन्द्र सरकार की ओर से दिए गए ईडब्ल्यूएस आरक्षण को माना जा रहा है। कई पॉकेट पर पाटीदार मजबूत हैं तो वहां पर इस समुदाय के लोग जीतते हैं। हालांकि कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां पाटीदारों के मजबूत होने के बावजूद गैर पाटीदार जीतते हैं।
डॉ शिरीष काशीकर, निदेशक, एनआईएमसीजे-अहमदाबाद